वैक्सीन के बाद भी मास्क है बेहद जरूरी

नई दिल्ली। जैसे ही कोरोना वैक्सीन को अनुमति मिलने और टीकाकरण अभियान किसी भी पल शुरू होने की बात सामने आ रही है, अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या इसके बाद भी हमें मास्क लगाना होगा ? भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव डाॅ वी एम कटोच कहते हैं कि जो भी बीमारी सांस के जरिए फैलती है और हमें बीमार करती है, उन बीमारियों को रोकने के लिए मास्क सबसे कारगर तरीका है। उन्होंने कहा कि कोरोना भी हमारी श्वसन प्रणाली पर भी सबसे अधिक दुष्प्रभाव डालती है।

आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डाॅ वीएम कटोच कहते हैं कि कि हमें 1910 में आए प्लेग महामारी के ऐतिहासिक तथ्यों समझना चाहिए। इसके बारे में लोगों को यह भी बताना चाहिए कि इसे मास्क का उपयोग करके भी रोका गया था। इसलिए हमें कोरोना से जीतना है, तो मास्क लगाना होगा। उन्होंने कहा कि बार-बार एक्सपर्टस भी कह रहे हैं कि वैक्सीन लगने का यह मतलब नहीं होना चाहिए कि आप जरूरी सावधानी नहीं बरतें। जब तक यह महामारी है, सभी को मास्क लगाना चाहिए। इसके साथ ही स्वच्छता, सतर्कता और शारीरिक दूरी भी बेहद जरूरी है।

आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक डाॅ वीएम कटोच ने कहा कि हमारे देश में कई इलाके ऐसे हैं, जो अभी तक कोरोना वायरस के संपर्क में नहीं आया है। हम नहीं जानते हैं कि आने वाले महीनों में वायरस कैसा व्यवहार करने वाला है ? यह वापस आ सकता है कि नहीं। मैं इतना कहना चाहूंगा कि हमें अपने लोगों को वायरस और वैक्सीन (ओं) के बारे में सूचित और शिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महामारी को तब खत्म किया जा सकता है, जब लोग रोग पैदा करने वाले रोगजनक के प्रति प्रतिरोधी हो जाएं। उन्होंने बताया कि हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के दो तरीके हैं – एक, रोगजनक के संपर्क में आने पर शरीर में एंटीबॉडी/इम्युनिटी विकसित होती है। और दूसरा, जब हम टीका देते हैं तो शरीर एंटीबॉडी/ इम्युनिटी को विकसित करता है।  उन्होंने कहा कि हर्ड इम्युनिटी के लिए टीका लगाना एक शक्तिशाली तरीका रहा है। हमने चेचक के खिलाफ टीके का उपयोग करके इस रोग को मिटा दिया है। हमें पूरी उम्मीद है कि जनता के सहयोग से हम इस महामारी पर भी विजय प्राप्त करेंगे।