नई दिल्ली। अब वो वक्त आ गया है जिसका आपको बीते पांच वर्षों से इंतजार था, यानि कि किसी सरकार का नहीं बल्कि आपकी अपना भविष्य और अपना कल बदलने का वक्त । मैं किसी लुभावनी स्कीम की बात नहीं कर रहा बात हो रही है लोकसभा चुनाव 2०24 की। जिसके माध्यम से आज अपनी मनमर्जी की सरकार चुन सकते हंै। खुले मन से विचार करिये बगैर यह सोचे कि आयेगा तो मोदी ही, क्योंकि यह तो जुमला है। यह चुनाव देश बदलने का तो है साथ ही खुद की तकदीर बदलने का भी है। इसीलिए सभी राजनीतिक दल आपको लुभावने के लिए अपने-अपने चुनावी वायदे पेश कर रहे हैं। कांग्रेस न्याय पत्र ला रही है तो सपा विजन डाक्यूमंेट, राजद 24 जनवचन लेकर आयी है तो भाजपा आज अपना संकल्प पत्र लेकर आयेगी। आप इन सबको पढ़ंे, चिंतन करें और मन बनायें कि आपको अपने क्ष्ोत्र में किसको वोट देना है, इसके पहले यह भी जानिये कि किसने अपने पिछले चुनावी घोषणा पत्रों के संकल्पों को पूरा किया है। क्योंकि किसी के भविष्य पर विश्वास करने के पहले उसका अतीत जानना बहुत जरूरी है।
भाजपा का संकल्प पत्र आज आ जायेगा । राजद ने 24 बड़े ऐलान कर दिये हैं। सपा ने अपना लंबा-चौड़ा विजन डाक्यूमंेट घोषित कर दिया है। सपा ने तो कई ऐसे वायदे कर डाले हैं जो उनके अधिकार क्ष्ोत्र में ही नहीं आते हैं। क्यों किसानों को एमएसपी कानूनी गारंटी, भूमिहीन किसानों का कर्जा माफ, मुफ्त सिंचाई आदि ऐसे वायदे हैं जो क्या वह पूरे देश में लागू कर सकते हैं। कांग्रेस पांच न्याय ले आयी है। आर्थिक सहायता, नौकरियों का वादा, एमएसपी की गारंटी, पुरानी पेशन स्कीम, मनरेगा, जातिगत जनगणना आदि का सपना दिखायी है। लालू की पार्टी के तेजस्वी यादव ने 24 के चुनाव के लिए 24 लोक-लुभावन वायदे कर डाले हैं। भाजपा भी आज कई ऐसे वायदे करेगी जिस पर आपको भरोसा करना ही होगा, जैसे आप अन्य पर कर रहे हैं। लेकिन आज भाजपा के घोषणा पत्रों के आने वाले वायदों पर अमल करने से पहले हमंे उसके 2०14 और 2०19 के वायदों को देखना होगा कि उसने कितना अमल किया है। हालांकि उसके धारा 37०, राम मंदिर जैसे बड़े वायदे पूरे हो गये हैं। समान नागरिक संहिता और एक राष्ट्र एक चुनाव जैसे मुद्दे पर उसने काम शुरू कर दिया है। पर क्या 2 लाख नौकरियां मिल गयीं। क्या होली और दीवाली पर मुफ्त गैस सिलंेडर मिल गया, क्या एमएसपी लागू हो गयी, क्या गरीबी खत्म हो गयी, क्या सबको आवास मिल गया, क्या हर परिवार को नौकरियां मिल गयीं ऐसे तमाम वायदे हैं जिनकी ओर टकटकी लगाकर हमारा युवा देख रहा है।
उधर कांग्रेस ने भी अपने चुनावी घोषणापत्र में रोज़गार, सामाजिक न्याय के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों की बात की है । पार्टी ने अपने मैनिçफ़ेस्टो में वादा किया है कि वो बिना भेदभाव के प्रत्येक नागरिक के हक़, धार्मिक स्वतंत्रता और उनसे जुड़े हक़ों और संघवाद की रक्षा करेगी और लोकतंत्र की परिभाषा को चुनाव और वोट से आगे ले जाने की कोशिश करेगी । लेकिन घोषणा पत्र में उठाए गए कई मुद्दों पर सवाल भी उठ रहे हैं । कई योजनाएं सीधे-सीधे मोदी सरकार की योजनाएं सरीखी लग रही हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि ये मौजूदा सरकार की नकल जैसे लग रही हैं। जैसे कांग्रेस ने युवाओं के रोज़गार के संबंध में ट्रेनिग के लिए लाख रुपये प्रति युवा देने का वादा किया है। कांग्रेस ने किसानों से वादा किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला क़ानून भी लाया जाएगा और कर्ज़ माफ़ी का भी प्रावधान होगा । हालांकि कई राज्यों में इस तरह की योजनाओं का वादा करने के बावजूद कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था ।
ऐसे में सवाल यही है कि कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में किए गए इन वादों का कितना असर होगा । कांग्रेस के घोषणापत्र में जिसे ‘न्याय पत्र’ बताया गया है, उसमें ईवीएम के साथ वीवीपैट के इस्तेमाल की बात कही गई है ताकि वोटरों के वोटों का मिलान किया जा सके और वोटर ये जान सकें कि उनका वोट किसको गया है । कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने पर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम, पीएम केयर फंड, सरकारी संपत्तियों की बिक्री को लेकर हुई डील्स और रक्षा सौदों की जांच कराने की बात कही है। इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को देश की सबसे ऊंची अदालत ने ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया है। इसके बाद जारी डेटा से ये सामने आया है कि बहुत सारी कंपनियों ने अपने कुल क़ीमत और आमदनी से अधिक चंदा भारतीय जनता पार्टी को दिया है । ग़रीब महिलाओं को एक लाख रुपये प्रति परिवार देने का वादा किया गया है । कांग्रेस की छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने भी किसानों को देश में सबसे अधिक धान का मूल्य दिया था, साथ ही क़र्ज़ माफ़ी भी की थी. लेकिन पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इन वादों के बावजूद कांग्रेस पार्टी को बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा था।
मतलब साफ है कि आपके सामने सभी बेरोजगारी, महंगाई, नौकरी, डाटा, आटा आदि की मांग कर रहे हैं, और भाजपा तो दावा कर रही है कि वह नौकरियां दे भी रही हैं फिर अपने देश मंे बेरोजगारों की ख्ोप कहां से बढ़ती ही जा रही है। देश में 25 साल से कम उम्र के बेरोजगारों का आंकड़ा देंख्ों तो इंटर पास 21.4० फीसद, हाईस्कूल पास 18.1० फीसद 8वीं पास 15 फीसद, 5वीं पास 1०.6० फीसद और निरक्षर करीब 13.5० फीसद हैं । जबकि देश पर 2०5 लाख करोड़ का कर्ज है और भारत सरकार पर 161 लाख करोड़ और राज्यों पर तकरीबन 44 लाख करोंड़ है। सरकार इस पर कोई वायदा नहीं करती हैं। अब आप पर सारा दारोमदार है कि हम आने वाले दिनों में किस तरह की सरकार चुनते हैं। अपने सांसद को चुनने से पहले उससे अपने क्ष्ोत्र के बारे में सवालात जरूर करिये, यह आपका हक है।