एमएसपी के साथ ही बातचीत करने पर अड़े किसान नेता, अभी खत्म नहीं होगा आंदोलन

किसान नेताओं और केंद्र सरकार में अभी भी ठनी हुई है। नेताओं को संसद के पहले दिन का इंतजार है, जब तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने वाले मसौदा को पेश किया जाएगा। किसान उसके बाद तय करेंगे कि आंदोलन का क्या करना है।


नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा और उसके बाद केंद्रीय कैबिनेट की सहमति के बाद भी किसान नेताओं को यह भरोसा नहीं हो रहा है कि संसद में उनके हित में निर्णय लिया जाएगा। किसान नेताओं ने अब कहा है कि जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर मांग नहीं मानी जाएगी और सरकार हमसे बात नहीं करेगी, आंदोलन जारी रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने का फ़ैसला किया है इससे समाधान नहीं होगा। किसानों की जो समस्या है, वह वैसी की वैसी है। जब तक केंद्र सरकार किसानों से बातचीत नहीं करेगी और MSP पर क़ानून नहीं लाएगी तब तक हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।


दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रधानमंत्री द्वारा सात जून, 2021 को राष्ट्र के नाम सम्बोधन में लोकहित में की गई घोषणा तथा कोविड-19 के संदर्भ में आर्थिक पहलों के हिस्से के रूप में मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई-चरण पांच) को और चार महीने, यानी दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक विस्तार देने को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) [अन्त्योदय अन्न योजना एवं प्राथमिकता प्राप्त घरों] के दायरे में आने वाले सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह पांच किलो अनाज निःशुल्क प्राप्त होता रहेगा।

इस योजना का पहला और दूसरा चरण क्रमशः अप्रैल से जून 2020 और जुलाई से नवंबर, 2020 में परिचालन में था। योजना का तीसरा चरण मई से जून, 2021 तक परिचालन में रहा। योजना का चौथा चरण इस समय जुलाई-नवंबर, 2021 के दौरान चल रहा है। पीएजीकेएवाई योजना का पांचवां चरण दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक चलेगा, जिसमें अनुमानित रूप से 53344.52 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी दी जायेगी।