Farmer Protest : कितना असर पड़ेगा कृषि मंत्री की अपील का ?

एक ओर किसानों की जिद है, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार की। कोई भी झुकने को तैयार नहीं है। दिल्ली सीमाओं पर हलचल तेज हो गई है। संसद सत्र भी शुरू होने वाला है। ऐसे में सवाल यह है कि किसानों के नाम पर केवल सियासत होगी या समाधान भी निकलेगा ?

नई दिल्ली। किसान नेताओं ने आंदोलन को तेज करने की घोषणा कर दी है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने हर महीने की 26 तारीख को रिहर्सल करने की बात की। किसानों का जमघट फिर से दिल्ली की सीमाओं पर होेने लगा है। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन को खत्म करने की अपील की हैं। अब सवाल उठता है किसान और उनके नेता मंत्री की बातों को तरजीह देंगे ? क्या यह आंदोलन यूं ही चलता रहेगा ?

सियासी गलियारों में चर्चा है कि संसद का मानसून सत्र आने वाला है। इसलिए किसानों ने दिल्ली की ओर चहलकदमी बढ़ा दी है। साथ ही कोरोना के दैनिक संक्रमण में आई कमी भी आंदोलन के लिए सहायक हो रहा है। चीजें सामान्य हो रही हंै, तो किसान नेताओं ने भी अपने आंदोलन को तेज करने का मन बना लिया है। वैसे, इसका नतीजा क्या होगा ? अभी कोई नहीं जानता है।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से कहा गया है कि किसान यूनियनों को आपना आंदोलन ख़त्म करना चाहिए। देश का बहुत बड़ा हिस्सा इन क़ानूनों के समर्थन में खड़ा है। किसान यूनियनों को अगर कृषि क़ानून के किसी भी प्रावधान से कोई भी आपत्ति है तो भारत सरकार उनसे उसपर बातचीत करने के लिए तैयार है।

कृषि कानूनों के खिलाफ गाज़ीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान ट्रैक्टर रैली की रिहर्सल कर रहे हैं। इससे पहले ही भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान 26 तारीख को कभी नहीं भूलेगा। हर महीने 26 तारीख आएगी, किसान ट्रैक्टरों की रिहर्सल करेगा। ट्रैक्टर दिल्ली का रास्ता न भूल जाएं इसलिए इनकी रिहर्सल करनी पड़ती है। हमें उम्मीद है कि सरकार बात करेगी। नहीं बातचीत करेगी तो अगला कदम उठाएंगे। ये आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक भारत सरकार कानून वापस नहीं लेगी और MSP पर कानून नहीं बनाएगी।