केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर टकराव के बच्च कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा की न्यायाधीशों की नियुक्ति एक प्रशासनिक मामला है, न्यायिक नहीं यही वही IB रिपोर्ट सार्वजनिक करने के फैसले को भी गंभीर बताया और कहा की रॉ और आईबी (उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर) के गुप्त इनपुट को सार्वजनिक करना गंभीर चिंता का विषय है। मैं समय रहते इस पर उचित तरीके से प्रतिक्रिया दूंगा.
Putting secret inputs of RAW & IB (on the appointment of judges in high courts) in public is a matter of serious concern. I will react to this in an appropriate manner in time: Union Law minister Kiren Rijiju pic.twitter.com/aI0W2FLY1l
— ANI (@ANI) January 24, 2023
कानून मंत्री ने आगे कहा की आज कुल लंबित मामलों की संख्या 4.90 करोड़ है। न्याय में देरी का मतलब न्याय से इंकार करना है। मामलों की इस लंबितता को कम करने का एकमात्र तरीका सरकार और न्यायपालिका का एक साथ आना है। इसमें तकनीक अहम भूमिका निभाती है। सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने ई-कोर्ट प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह अंतिम चरण में है। प्रस्ताव पर भी बड़ी राशि खर्च होगी। मुझे उम्मीद है कि हम इसे कैबिनेट में ला सकते हैं। न्यायपालिका की मांगों में सहायता प्रदान करने में पीएम मोदी सक्रिय हैं। सरकार और न्यायपालिका के संयुक्त प्रयास से देश में लंबित मामलों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी। प्रौद्योगिकी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
Today the total no of pending cases is 4.90 crores. Delay of justice means denying justice. The only way to reduce this pendency of cases is the coming together of govt & the judiciary. Technology plays an important role in this: Union Law Minister Kiren Rijiju pic.twitter.com/Vc3HOnf11h
— ANI (@ANI) January 24, 2023