वाकई खेला हो गया ममता के बंगाल में ?

जनता यह सवाल करती है कि क्या जब कोई नेता दूसरे दल में जाता है, तो एक जैसी सोच और बयान कैसे हो जाती है , पुराने दल को क्यों कोसा जाता है। पहले जतिन प्रसाद और अब मुकुल राॅय की बयानबाजी तो यही कहती है।

कोलकाता। विधानसभा चुनाव में यदि सबसे अधिक कोई शब्द लोगों की जुबान पर चढा था, वह था – खेला होबे। चुनाव में कैसा खेला हुआ, सबके सामने है। अब नया खेला शुक्रवार को गया है। भाजपा के केंद्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राॅय ने घर वापसी कर डाली। तृणमूल में आते ही भाजपा को खूब खरी खोटी सुनाई।

वही, मुकुल राॅय जो तृणमूल कांग्रेस छोडकर भाजपा में कुछ साल पहले आए। अब जब देखा कि पश्चिम बंगाल में ममत बनर्जी का पूरा जलवा है। भाजपा के साथ उन्होंने वाकई खेला कर दिया है। कांग्रेस और वाम दल का नामलेवाा कोई नहीं बचा विधानसभा में। ऐसे समय में मुकुल राॅय का पुनः तृणमूल में जाना बहुत कुछ कहता है। कोलकाता में इस बार मुकुल राॅय के साथ उनके पुत्र शुभ्रांशु रॉय ने भी तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा है।


 

मुकुल राॅय ने भाजपा की कार्यसंस्कृति को लेकर सवाल उठाएं हैं। कुछ ऐसा ही घटनाक्रम दो दिन पहले दिल्ली में उस समय देखने को मिला, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जतिन प्रसाद ने कांग्रेस की कार्यसंस्कृति पर सवाल उठाया और भाजपा में आए। बिलकुल वैसा ही आज मुकुल राॅय ने किया है।

लोगों के जेहन में सवाल यह भी है कि क्या मुकुल राॅय को पहले वाली इज्जत और स्थान मिलेगी क्या ? इस पर स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केी ओर से कहा गया कि वे (मुकुल रॉय) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, पहले वे जो भूमिका निभाते थे, भविष्य में भी वे वही भूमिका निभाएंगे। इतना ही नहीं, ममता बनर्जी ने टीएमसी की कार्यसंस्कृति को भी स्पष्ट कर दिया और बताया कि तृणमूल कांग्रेस एक परिवार है।