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नई दिल्ली।  प्रसिद्ध फिल्मकार, चित्रकार और सांस्कृतिक जानकार मुजफ्फर अली ने फिल्मफेयर के साथ एक खास बातचीत में अपनी फिल्म ‘उमराव जान’ बनाने की यात्रा और पिता के रूप में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि उनकी कला सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे पारंपरिक हस्तशिल्प और सूफी संगीत जैसे क्षेत्रों को भी पुनर्जीवित करते आए हैं।

मुजफ्फर अली ने बताया कि उनके सफर की शुरुआत कोलकाता में विज्ञापन एजेंसी में काम करते हुए हुई, जहां उन्होंने फिल्म निर्देशक सत्यजीत राय को करीब से देखा और प्रेरणा ली। उन्होंने कहा कि ‘उमराव जान’ की अभिनेत्री रेखा ने बिना कोई शर्त माने यह भूमिका स्वीकार की, जो उनके लिए आश्चर्यजनक था।

अली ने “मुस्लिम सोशल” फिल्मों के लेबल पर अपनी असहमति जताई और सांस्कृतिक एकता का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति हमेशा मिश्रित और समृद्ध रही है। साथ ही, उन्होंने अपने युवा संस्करण को धैर्य, गहराई से जुड़ाव और अनुशासन की सलाह दी।

पिता के तौर पर उन्होंने बताया कि उनके तीन बच्चों में से हर एक ने अलग क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है—शाद अली फिल्म निर्माता हैं, मुराद को कविता से प्रेरणा मिली है और समा टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में काम कर रही हैं।