चंद्रयान 3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग के लिए तैयार है इसरो, पूरे देश में उत्साह का माहौल

नई दिल्ली। इसरो ने ट्वीट किया, “स्वचालित लैंडिंग अनुक्रम(एएलएस) शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार। लगभग 17:44 बजे निर्धारित बिंदु पर लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। एएलएस कमांड प्राप्त होने पर, एलएम संचालित वंश के लिए थ्रॉटलेबल इंजन को सक्रिय करता है। मिशन संचालन टीम आदेशों के क्रमिक निष्पादन की पुष्टि करती रहेगी। एमओएक्स में संचालन का सीधा प्रसारण 17:20 बजे शुरू होगा।”

इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 के लेंडर माड्यूल की आज शाम 6:04 पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच देगा। भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं लेकिन यह दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में नहीं हुई है। सॉफ्ट-लैंडिंग की इस अहम प्रक्रिया को इसरो अधिकारियों ने ’17 मिनट का खौफ’, करार दिया है।

चंद्रयान-3 की सफल चंद्र लैंडिंग के लिए मुंबई के गोरेगांव स्थित संकल्प सिद्धि मंदिर में हवन किया गया।केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है। हम सभी उस पल का इंतजार कर रहे हैं जब चंद्रयान-3 मिशन सफल होगा। इससे भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

वहीं, कांग्रेस के नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है और मैं वैज्ञानिकों को अग्रिम बधाई देना चाहता हूं…हम चाहते हैं कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लैंड हो…

चंद्रयान-3 मिशन पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि आज का दिन हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। आज चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर उतरेगा…मैं उनकी सफलताओं के लिए प्रार्थना करता हूं।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस का कहना है कि जहां तक चंद्रयान 3 का सवाल है तो यह भारत के लिए क्षणों का क्षण है। हम कहते थे कि आकाश ही सीमा है, लेकिन भारत ने साबित कर दिया है कि बाहरी अंतरिक्ष में आकाश ही वह सीमा नहीं है…हम ऐसा करने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले वैज्ञानिकों को बधाई देते हैं। यह हजारों मील की यात्रा की शुरुआत है…हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ और ऊंचे होते जाएंगे…हमारे वैज्ञानिकों ने अपना और देश का गौरव बढ़ाया है। यह हमारे लिए गौरव का क्षण है।