मधबुनी लिटरेचर फेस्टिवल और आईजीएनसीए के संयुक्त तत्वावधान में पूरे देश की भ्रमण करेंगी जानकी

उत्सव के हिस्से के रूप में एक अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया इसमें कलाकारों को उस क्षेत्र की एक प्राचीन कला परंपरा - मिथिला कला रूप में मिथिला की बेटी को चित्रित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। हमें बेहद खुशी है कि कई कार्यशालाओं के माध्यम से काफी लोगों ने इसमें भागीदारी दी।

नई दिल्ली। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस महोत्सव में अब जनकनंदिनी जानकी को लेकर भी मिथिला पेंटिंग्स की प्रदर्शनी पूरे देश में की जाएगी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने महोत्सव के अंतिम दिन आशय की घोणणा की है। मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल और आईजीएनसीए के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय वैदेही महोत्सव का आयोजन किया गया। मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल की डॉ सविता झा खान ने इसे पूरे मिथिला के लिए गौरव का पल बताया है। उन्होंने कहा कि हमें बेहद खुशी है कि मां जानकी अब पूरे देश का भ्रमण करेंगी।

आईजीएनसीए में आयोजित सात दिवसीय वैदेही महोत्सव के अंतिम दिन डॉ जोशी ने कहा कि आईजीएनसीए की ओर से निर्णय लिया गया है कि यहां प्रदर्शित सवा सौ से अधिक पेंटिंग्स में से चुनिंदा 75 पेंटिंग्स को पूरे देश में प्रदर्शित किया जाएगा। नारी संवाद प्रकल्प इस कार्य को करेगी। उन्होंने कहा कि इन पेंटिंग्स में मां जानकी के विभिन्न रूप और प्रसंग को दर्शाया गया है। मिथिला के संस्कार और सीता के जीवन को समग्रता में समझने के लिए वैदेही का सात दिनों का महोत्सव बेहद सार्थक रहा।

बता दें कि जानकी नवमी के दिन से वैदेही महोत्सव की शुरुआत की गई थी। आईजीएनसी में 10 मई से 16 मई तक चलने वाले इस महोत्सव में कई देशों से विभिन्न कलाकारों ने अपनी पेंटिंग्स भेजी। सभी का थीमा सीता का जीवन ही रहा। इसका आयोजन मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल ने आईजीएनसीए के संयुक्त तत्वावधान में किया था।

डॉ सविता झा खान ने कहा कि हमारे लिए यह बेहद गौरव की बात है कि सीता से जुड़ी 75 मिथिला पेंटिंग्स को आईजीएनसीए पूरे देश में प्रदर्शित करेगी। पूरे मिथिला के लिए यह सुखद समाचार है। एक सवाल के जवाब में डॉ सविता झा खान ने कहा कि सीता केवल राम की पत्नी या राजा जनक की पुत्री नहीं थीं, बल्कि वैदेही थीं, जो गर्भ के बाहर पैदा हुईं। प्रकृति की बेटी और गरिमा और अनुग्रह, शक्ति और बलिदान की प्रतिमूर्ति थीं। हमें सुखद एहसास हो रहा है कि इस सात दिवसीय कार्यक्रम में दिल्ली एनसीआर के काफी लोग आए।