नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) से अंतिरम जमानत मिल गई, लेकिन वहीं ईडी (ED) द्वारा ही हिरासत में लिए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) को अभी तक राहत नहीं मिली है। देखा जाए तो दोंनो में काफी समानताएं हैं, बावजूद इसके सुप्रीम कोर्ट ने एक आदिवासी मुख्यमंत्री (Tribal CM ) को अब तक राहत नहीं दिया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनको प्रचार करने के लिए 21 दिन की अंतरिम जमानत दे दी है। वे एक जून तक जिस दिन सातवें चरण का मतदान होना है उस दिन तक बाहर रहेंगे। इस दौरान वे कोई आधिकारिक कामकाज नहीं करेंगे। इसी तरह की राहत झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिल सकती है। कहने को तो यह भी कहा जा रहा ह कि बीआरएस की नेता के कविता को भी इस आधार पर राहत मिल सकती है। लेकिन उनके साथ मुश्किल यह है कि वे अपनी पार्टी की सर्वोच्च नेता नहीं हैं। दूसरी ओर हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जेल जाना पड़ा था और उनकी पार्टी उनके बगैर चुनाव लड़ रही है। वे पार्टी के सबसे प्रमुख नेता हैं।
हालांकि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत दी उसी दिन हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वे गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को संशोधित करके दायर करें तो उसमें इस बात को भी शामिल कर सकते हैं कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत चाहिए। गौरतलब है कि केजरीवाल की ही तरह हेमंत सोरेन ने भी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट में दाखिल की थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। केजरीवाल की याचिका भी हाई कोर्ट से खारिज हो गई थी, जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट गए थे और सर्वोच्च अदालत ने इस याचिका में सुनवाई में देरी के आधार पर उनको अंतरिम जमानत दी। इसी तरह की याचिका दायर करके हेमंत सोरेन भी राहत ले सकते हैं। ध्यान रहे झारखंड में भी एक जून तक मतदान चलेगा।