Jharkhand News : आदिवासी हित की बात करके झामुमो ने भाजपा पर साधा निशाना

कभी हां और कभी ना, सियासत में शतरंज की तरह ढाई कदम चलने की भी परिपाटी है। एक ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भाजपा पर निशाना साधते हैं। आदिवासी विरोधी बताते हैं। दूसरी ओर झामुमो की बाध्यता है कि वो आदिवासी नेता द्रौपदी मूर्मू का राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन करें। यदि वो ऐसा नहीं करता है कि उसकी सियासी जमीन छिटक सकती है।

रांची। हाल ही में द्रौपदी मुर्मू का नाम राष्ट्रपति पद के लिए प्रस्तावित करके भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में यह प्रचारित कर रही है कि वह आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए सबसे अधिक सोच रही है। अब देश के अगले राष्ट्रपति के रूप में लगभग द्रौपदी मुर्मू का नाम तय माना जा रहा है। इससे पहले वो झारखंड की राज्यपाल भी रही हैं। अब उसी झारखंड में सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से भाजपा पर सियासी हमला किया गया है और पार्टी को आदिवासी विरोधी बताया जा रहा है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद पांडेय का कहना है कि जिस तरह से NDA यह दिखाने का प्रयास कर रही है कि वो आदिवासी समाज के बहुत बड़ा समर्थक है तो यह सिर्फ दिखावा है। अगर ऐसा होता तो हमने यहां के विधानसभा से ‘सरना कोड’ को पारित करके भेजा। लेकिन आज तक केंद्र सरकार ने उसपर विचार तक नहीं किया, इससे स्पष्ट हो जाता है कि आप कितने शुभचिंतक हैं(आदिवासी समाज के)। मगर इन सभी चीजों का राष्ट्रपति चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। जो भी उचित निर्णय होगा वो गुरूजी(शिबू सोरेन) की तरफ से होगा।

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि द्रौपदी मुर्मू को आगे करके भाजपा ने बड़ी दूर की राजनीति की है। आदिवासियों के साथ महिलाओं के बीच उसकी अच्छी छवि बनी है। हालांकि, सियासी हलकों में खबर यह भी है कि एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को झामुमो समर्थन दे सकता है। हाल के दिनों में झामुमो की राजनीतिक गतिविधियां भी इस ओर ही संकेत कर रही है़ं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। राज्य के मुद्दे के साथ-साथ राष्ट्रपति चुनाव को लेकर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई।

झामुमो राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में जाने की अटकलें लग रही है़ं।आदिवासी वोट बैंक को देखते हुए झामुमो के लिए श्रीमती मुर्मू के समर्थन की बाध्यता है़।इधर झामुमो ने विपक्ष के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा से दूरी बना ली है़ झामुमो के सांसद-विधायक श्री सिन्हा के नामांकन में नहीं पहुंचे़ सूचना के मुताबिक झामुमो ने अपना स्टैंड कांग्रेस को बता दिया है।