राजस्थान में कप्पा वायरस की हुई पहचान

कप्पा वैरिएंट में प्राकृतिक संक्रमण और वैक्सीन, दोनों से बनी प्रतिरक्षा को मात देने की क्षमता है। कप्पा स्परूप से संक्रमित 11 मरीजों में से 4-4 अलवर और जयपुर, दो बाड़मेर से और एक भीलवाड़ा से हैं। कोरोना का कप्पा वैरिएंट (बी.1.167.1) पहली बार अक्टूबर 2020 में भारत में पाया गया था।

जयपुर। कोरोना महामारी के दौर में जैसे ही कोई नया वायरस किसी राज्य में पाया जाता है, तो सब चौंकन्ना हो जाता है। राजस्थान में कप्पा वायरस (Kappa Varient) के 11 मामले अभी तक मिले हैं। इसको लेकर राज्य सरकार सतर्क है और संबंधित विभाग को अलर्ट कर दिया गया है। इससे पहले कुछ राज्यों में जीका वायरस के नए मरीज भी मिले थे।

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा (Raghu Sharma) ने कहा कि राजस्थान में कप्पा वेरिएंट(Kappa Varient) के कुल 11 मामले मिले हैं, ये वेरिएंट डेल्टा और डेल्टा प्लस जितना खतरनाक नहीं है। राजस्थान में कोरोना की स्थिति अब नियंत्रण में है। कप्पा स्परूप से संक्रमित 11 मरीजों में से 4-4 अलवर और जयपुर, दो बाड़मेर से और एक भीलवाड़ा से हैं।

बता दें कि राजस्थान सरकार कोरोना के खिलाफ बेहतर प्रबंधन के साथ काम कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का कहना है कि हमारे चिकित्साकर्मियों ने पूरी दक्षता के साथ वैक्सीनेशन किया है। उन्होंने जहां भी संभव हुआ वैक्सीन की एक वायल में से 10 के अतिरिक्त मिलने वाली 11वीं डोज का भी उपयोग किया। जिससे राजस्थान में वैक्सीन की आपूर्ति के अनुपात में 1.8 प्रतिशत अधिक वैक्सीनेशन हो सका है। राजस्थान के वैक्सीनेशन प्रबंधन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी सराहा है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान उन अग्रणी प्रदेशों में शाामिल है, जहां वैक्सीन का सबसे कम वेस्टेज हुआ है। प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है।

असल में, दोनों डोज लगने पर ही संक्रमण से पूरी सुरक्षा मिलती है। निर्देश दिए कि राज्य सरकार के अधिकारी केन्द्र सरकार से समन्वय कर वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ाने की मांग पुरजोर तरीके से रखें, ताकि लोगों को समय पर वैक्सीन दी जा सके।