झांसी। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ शृंखला के अन्तरगत संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की स्वायत्त संस्थान ‘उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज’ द्वारा कारगिल दिवस के अवसर पर ‘क़िला और कहानियाँ’ शीर्षक के तहत ‘बिठूर किला की शौर्यगाथा’ विषय पर आधारित नाटक ‘दास्तान – ए – झांसी’ का नाट्य मंचन रानी लक्ष्मीबाई के जन्मस्थली बिठूर क़िला, कानपुर में किया जा रहा है । इस आयोजन में दिल्ली की प्रमुख नाट्य संस्था ‘मैलोरंग’ यानी मैथिली लोक रंग को झांसी की रानी केन्द्रित नाट्य प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है । ‘मैलोरंग’ के रंगकर्मियों ने अमिताभ श्रीवास्तव लिखित नाटक ‘दास्तान – ए – झांसी’ रमन कुमार के निर्देशन में तैयार किया है । यह नाटक 26 जुलाई 2023 को शाम 7.00 बजे से बिठूर की क़िला में मंचित किया जाएगा । इससे पहले ‘दास्तान – ए – झांसी’ का सफल मंचन झांसी के क़िले में किया जा चुका है । बिठूर में इस नाट्य प्रस्तुति का दूसरा मंचन होगा । इस नाट्य प्रस्तुति में कुल 18 रंगकर्मी हिस्सा ले रहे हैं । इन सभी रंगकर्मियों को तलवारबाजी एवं लाठी भाँजने का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है । नाट्य प्रस्तुति के निर्देशक श्री रमन कुमार ने अपने रंगमंच का प्रारम्भ ‘मैलोरंग’ से ही किया । फिर उनका चयन भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में हुआ । वहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पुन: अपनी मातृ संस्था ‘मैलोरंग’ में आकर रेपर्टरी प्रमुख की हैसियत से नए रंगकर्मियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं । इस नाट्य प्रस्तुति में भी भरपूर मात्रा में संगीत एवं युद्ध कला दोनों का समिश्रण देखने को मिलेगा । ‘मैलोरंग’ यानी मैथिली लोक रंग के निदेशक डॉ. प्रकाश झा ने कहा की इस प्रस्तुति में बहुत से रंगकर्मी भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ; राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (बनारस सेंटर) आदि से प्रशिक्षित हैं । उनके सानिद्ध्य में रहकर ‘मैलोरंग’ की नई पीढ़ी तैयार हो रही है, जो मैथिली एवं हिन्दी दोनों ही रंगमंच को समृद्ध करेंगे । यह हमारी टीम के लिए गौरव की बात है नाटक ‘दास्तान – ए – झांसी’ की पहली प्रस्तुति झांसी के किले में ही आयोजित हुई अब इसकी दूसरी प्रस्तुति कारगिल दिवस के अवसर पर बिठूर के क़िले में हो रही है । हम चाहेंगे कि इसकी प्रस्तुति देश के विभिन्न स्थानों पर हो । और हम इसके लिए प्रयास भी करेंगे ।
बिठूर के किले में मैलोरंग मंचित करेगा ‘दास्तान – ए – झांसी’
कारगिल दिवस के अवसर पर बिठूर में ‘दास्तान – ए – झांसी’