बिजली के स्मार्ट मीटर को लेकर उठ रहे हैं कई सवाल

केंद्रीय ऊर्जा सचिव श्री आलोक कुमार ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि इस गंभीर मामले पर वो खुद पावर कारपोरेशन के उच्चाधिकारियों से बात करेंगे और जल्द ही अलग से उपभोक्ता परिषद को टाइम दिया जाएगा उपभोक्ता परिषद अपनी बात ऊर्जा मंत्रालय के सामने रखें।

लखनउ। हाई प्रोफाइल स्मार्ट प्री पेड मीटर टेंडर की ऊंची दरों के मामले में केंद्रीय ऊर्जा सचिव लखनऊ पहुंचे पावर कारपोरेशन के उच्चाधिकारियों के साथ की मीटिंग। लेकिन उच्च दर के मामले में नही बन पाई कोई बात। केंद्रीय उर्जा सचिव श्री आलोक कुमार के लखनऊ पहुंचते ही उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने दर्ज कराया अपना विरोध कहा देश के निजी घराने रुपया 6000 लागत के स्मार्ट प्रीपेड मीटर को रुपया 10000 प्रति मीटर कि दर से अधिक दर पर अवार्ड कराना चाहते हैं टेंडर जिसे निरस्त करना जनहित में जरूरी ।
केंद्रीय ऊर्जा सचिव का उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आश्वासन जल्द अलग से उपभोक्ता परिषद को मिलेगा टाइम उपभोक्ता परिषद रखे अपनी पूरी बात। प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में 4 कलस्टर में निकाले गए 2.5 करोड 25 हजार करोड़ लागत वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को अंतिम रूप देने को लेकर जहां उत्तर प्रदेश में हंगामा मचा है वही इस हाई प्रोफाइल ऊंची दर वाले टेंडर के मामले में जहां केंद्रीय ऊर्जा सचिव श्री आलोक कुमार भी आज लखनऊ पहुंचे और एनटीपीसी गेस्ट हाउस गोमती नगर में पावर कारपोरेशन के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक के साथ गंभीर चर्चा की वहीं दूसरी ओर लखनऊ पहुंचते ही उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव श्री आलोक कुमार से फोन पर बात कर अपना विरोध दर्ज कराया उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव से अनुरोध किया कि भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय मार्च 2022 में इस हाईप्रोफाइल मामले पर पहले ही प्रति मीटर रुपया 6000 ऐस्टीमेटेड कॉस्ट अनुमोदित करके सभी बिजली कंपनियों को एक्शन प्लान व डीपीआर भेज चुका है ऐसे में अब मैसर्स अडानी जी0एम0आर व इनटेलीस्मार्ट जिनके टेंडर की दरें प्रति मीटर रुपया 10000 से भी ज्यादा आई है यानी कि लगभग 48 से 65 प्रतिसत ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से अधिक इतनी उच्च दर यदि किसी विदेश के निजी घराने के दबाव में टेंडर अवार्ड किया गया तो इसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं को भुगतना पडेगा ऐसे में उपभोक्ता परिषद की मांग को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय जनहित में गंभीरता से लें। अन्यथा उपभोक्ता परिषद अपने तरीके से संवैधानिक लडाई लडने के लिए बात होगा।
वहीं दूसरी ओर आज की बैठक में जो गंभीर बातें निकल कर सामने आ रही है उसमें पावर कारपोरेशन अपनी उसी पुरानी बात पर कायम है पावर कारपोरेशन का मानना है कि जब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की सहमति पर रूलर इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड आरईसी पहले ही डीपीआर में प्रति मीटर रुपया 6000 ऐस्टीमेटेड कॉस्ट अनमोदित कर चुका है ऐसे में इतनी ऊंची दर पर टेंडर को अवार्ड करने में बडी वित्तीय कठिनाई आ रही हैवहीं दूसरी तरफ केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भी बहुत फूक फूक पर कदम रख रहा है क्योंकि सभी को पता है कि रुपया 6000 एस्टिमटेड मीटर की कास्ट केंद्रीय ऊर्जा सचिव की सहमति के बाद ही अनुमोदित किया गया है ऐसे में उससे इतर उच्च दर पर कोई भी लिखित निर्णय लिया जाता है तो यह बड़ी वित्तीय अनियमितता साबित होगा ।वहीं दूसरी ओर देश के बडे निजी घराने उच्च दर पर टेंडर हथियाने को लेकर अलग-अलग तर्क दे रहे हैं निजी घरानों की लॉबिंग का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सभी बिजली कंपनियों ने ऊंची दरों पर टेंडर की दरों को और कम करने के लिए निगोसेसन के लिए उनसे पुनः उनकी सहमति मांगी लेकिन किसी भी देश के निजी घराने ने अपनी दरों में कोई भी कमी करने को तैयार नहीं। जिससे ऐसा सिद्ध होता है कि सभी निजी घराने पूरी तरीके से दृढ हैं कि वह अपने दबाव में कामयाब हो जाएंगे लेकिन उपभोक्ता परिषद एक बार फिर एलान करता है कि जिस प्रकार से विदेशी कोयले में उन्हें लंबी लडाई लड के धूल चटाई गई थी उसी प्रकार इस मामले में भी निजी घरानों को एक बार मुंह की खानी पडेगी।