आलोक कुमार
गुरुग्राम के मेदांता से खबर आ रही है। दुखद है। दशकों तक उत्तर प्रदेश की राजनीति की धुरी रहे मुलायम सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं हैं। सबको एक न एक दिन जाना है। यह समय यही बता रहा है।
वह लोगों से आत्मीय संबंध रखते थे। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के भक्त थे। राजनीति के प्रकांड विद्वान और नरेटिव गढ़ने में माहिर थे। चरण सिंह की विरासत को लेकर स्व अजीत सिंह आजीवन उनसे जूझते रहे। किसी ओर बैठे किसी भी व्यक्ति की अनुकूल वक्त आने पर तारीफ कर भौंचक कर देना मुलायम के सियासत की सबसे बडी खासियत रही। वक्त बिगड़ने पर खट्टाक से नज़र फेर लिया करते। पूछने पर सधे बाइट से वजह सुना दिया करते।
व्यापक जनसमर्थन था। चरेटी बिगिंस एट होम। वंशवाद के पुरोधा रहे। सत्ता में भागीदारी की बारी आने पर परिवार से ही किसी न किसी को आगे बढ़ा दिया करते। निज खून के दर्जन भर से ज्यादा सभासद,विधायक और सांसद बनाए। पर सौतेले बेटे प्रतीक को राजनीति में सेट नहीं कर सके। हालांकि बहू अर्चना बीजेपी में नेताजी के आशीर्वाद से आने की बात कहती हैं।
यानी यत्र यत्र सर्वत्र उनका बोलबाला रहा। 1996 में लालू प्रसाद को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। नतीजा देवगौड़ा के दिनों में चारा घोटाला में लालू जेल चले गए। उससे पहले लालू यादव ने उत्तर प्रदेश में बेखटक रथ यात्रा पूरी कर लेने वाले बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर सेलुकरवाद की सियासत में उनसे बड़ा होने का दांव चला था।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी का निधन अत्यंत दुखदायी है।
उनके निधन से समाजवाद के एक प्रमुख स्तंभ एवं एक संघर्षशील युग का अंत हुआ है।
ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की कामना व शोकाकुल परिवार एवं समर्थकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 10, 2022
अयोध्या में कारसेवकों पर उनकी सरकार में गोली चली। मुल्ला मुलायम कहे गए। उनसे उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीजेपी का पदार्पण मुक्कमल हुआ। मायावती के साथ हुआ गेस्ट हाउस कांड सत्ता के प्रति उनकी अख्खड़ता का परिचायक है। कांग्रेस से चलकर मुलायम सिंह के करीब आए अमर सिंह ने उनको जिस शानदार तरीके से बेचा। वह सेल्समैन की दुनिया का सफल सबक है। बॉलीवुल की चमक का चस्का लगवाया। सुखोई विमान सौदा करवाया। मनमोहन सरकार को पेंच फंसाकर अमेरिका से परमाणु डील करवाई।
सियासत में उनके होने का अर्थ तब ही विलुप्त हो गया था जब परिवार में विघटन हुआ। हनुमान सरीखे भाई शिवपाल को पुत्र अखिलेश ने ललकार कर समाजवादी पार्टी से दूर कर दिया।
सामान्य स्कूल टीचर की नौकरी से चलकर जीवन में लाख करोड़ लोगों की चेतना का स्पर्श करने वाले मुलायम सिंह यादव जी को नमन।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)