‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ में बहुजन समाज के दिग्गजों के दिल को छू गई निकिल प्रणव आर की जूठन

शक्षा में जातिगत भेदभाव पर बात करती जूठन को बहुजन समाज की दिग्गज हस्तियों ने खूब सराहा

नई दिल्ली। निर्माता निकिल प्रणव आर और प्रयोगधर्मी लेखक-निर्देशक पुष्पेंद्र आल्बे की बॉलीवुड फिल्म जूठन की शनिवार (9 मार्च) को नई दिल्ली में राष्ट्रीय दलित साहित्यिक कांफ्रेंस में स्पेशल स्क्रीनिंग आयोजित की गई. शिक्षा में जातिगत भेदभाव पर बात करती जूठन को बहुजन समाज की दिग्गज हस्तियों ने खूब सराहा और इसे हर भारतीय के लिए एक जरूरी फिल्म बताया. स्पेशल स्क्रीनिंग में मूलनिवासी सभ्यता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रभाकर निसरगंध, विख्यात दलित चिंतक रमेश भंगी, डा. रामप्रताप नीरज, शिवनाथ शिलबोधी, प्रख्यात मलयालम फिल्म गीत लेखिका मृदुला देवी आदि ने शिरकत की. साथ ही दलित लेखक संघ, नव दलित लेखक संघ, जन-विकल्प, बोधिसत्व मिशन मासिक पत्रिका, डिपरेस्ड एक्सप्रेस मासिक पत्रिका, डा. भीमराव अंबेडकर साहित्यिक विचार मंच, बिहार-झारखंड बहुजन लेखक संघ, भारतीय दलित साहित्यिक समिति के सदस्य भी स्क्रीनिंग में मौजूद रहे. मध्यप्रदेश की खूबसूरत लोकेशन पर फिल्माई गई जूठन का निर्माण पुष्पेंद्र आल्बे और निकिल प्रणव आर की कंपनी एडाप्ट ए स्कूल फिल्म्स ने किया है. फिल्म के क्रिएटिव प्रोड्यूसर मिलन गुप्ता हैं, वहीं पब्लिशिटी डिजाइन रोहित पंवार ने की है. फिल्म में नरेश कुमार (बाहुबली फ्रेंचाइजी फेम), विक्रम सिंह (भाग मिल्खा भाग, मिर्जियॉ फेम), कुलदीप कुमार, संदीप गुप्ता, रिमझिम राजपूत और दिनेश शर्मा (इश्कियां, तनु वेड्स मनु और कागज फेम) भी अहम् भूमिकाओं में है. “हकीकत यह है कि सरकार की तमाम ईमानदार कोशिशों के बावजूद जातिगत भेदभाव अभी भी समाज को खोखला कर रहा है, खासकर ग्रामीण भारत में. इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात यह कि दलित समाज के बच्चों की शिक्षा इस जातिगत भेदभाव की वजह से हाशिए पर है“ निकिल प्रणव आर ने बताया. ऑक्सफाम की रिपोर्ट के मुताबिक देश में स्कूल छोड़ने वाले एससी-एसटी और ओबीसी तबके के बच्चों की संख्या अन्य तबकों से कहीं ज्यादा है. स्कूल बीच में ही छोड़ देने वाले 60 लाख बच्चों में से 75 फीसदी बच्चे दलित या आदिवासी हैं. “जूठन इसी मुद्दे पर बात करती है कि शिक्षा पर सबका बराबर अधिकार है. दलित समाज के बच्चों को सिर्फ इसलिये शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे निचले तबके के हैं. शिक्षा में ये छूआछूत हमारे देश के एक वैश्विक महाशक्ति बनने में सबसे बडी रूकावट है“ निकिल प्रणव आर ने अपनी बात रखते हुए कहा. “फिल्म देखते हुए मेरे रौंगटे खडे हो गए. फिल्म में बॉलीवुड मसाला की कोई जगह नहीं है और यह पूरी ईमानदारी से शिक्षा में समान अधिकार की बात रखती है“ द ग्रेट इंडियन किचन जैसी लैंडमार्क फिल्म में गीत लिखने वाली मृदुला देवी एस ने बताया.