Parivartini Ekadashi 2021, उनकी योगनिद्रा से करवट है भाग्यशाली, Fasting करें और फल होगा सामने

ज्योतिषों के अनुसार 2021 की परिवर्तनी एकादशी 17 सितबंर शुक्रवार को है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी या जलझूलनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

नई दिल्ली। चतुर्मास की एकादशी होने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन ही भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा में करवट लेते हैं। परिवर्तनी एकादशी को पापनाशिनी एकादशी माना जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती तथा वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार का पूजन किया जाता है। इस साल परिवर्तनी एकादशी की तिथि 17 सितंबर शुक्रवार को पड़ रही है।

क्या है शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 16 सितंबर को सुबह 09 बजकर 39 मिनट से शुरू हो कर 17 सितंबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी, इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। हालांकि एकादशी तिथि 16 सितंबर को पूरे दिन रहेगी, लेकिन इस दिन का सूर्योदय एकादशी तिथि के पहले पड़ रहा है। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी 17 सितंबर, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।

जानें सटीक पूजन विधि

वैसे तो हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पर आज की एकादशी खास है। कारण चर्तुमास के बाद आज के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से करवट लेते हैं। यानी आज की एकादशी सीधा जुड़ी है भगवान विष्णु की भक्ति व आराधना से। यही कारण है कि परिवर्तनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी या जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

परिवर्तनी एकादशी की पूजन विधि

प्रातः काल में स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए।
पश्चात पीले रंग के आसन पर भगवान विष्णु को स्थापित कर पूजन करना चाहिए।
विष्णु जी को पीले रंग के फूल, मिठाई और हल्दी मिला जल चढ़ाना चाहिए।
विष्णु जी को गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए।
किसी गरीब को पीले वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत के लाभ

  • एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
  • जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
  • जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
  • एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
  • धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
  • कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
  • परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
  • एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
  • महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है, तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है।