पटना हुआ पानी पानी, दूसरे शहर की लगाएं केवल अंदाजा

बारिश हुई। विधान मंडल परिसर डूब गया। उपमुख्यमंत्री का आवासीय परिसर पानी पानी हो गया। सरकार चुप है। विभाग में कागजों का आना-जाना जारी है, लेकिन लोगों को न तो नाली की सफाई और न ही बाढ़ से राहत मिलती है। क्या यही बिहार की नियति बन चुकी है ?

पटना। राज्य की उपमुख्यमंत्री श्रीमती रेणु देवी के सरकारी आवास की तस्वीर देखिए। यहां सुशासन का राज है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सात निश्चय के साथ विकास पुरुष की छवि लिए चुनावी मंचों से अपनी शेखी बघारते नहीं थकते। जब बड़े लोगों के घर का ये हाल, तो आम लोगों की दशा का अंदाजा कोई भी लगा सकता है।

बिहार की राजधानी एक बार फिर पानी पानी हुआ। बारिश से कम और विभागीय नक्कारेपन से अधिक। जहां से सरकारें चलती हैं, जहां सरकार के मुखिया आते जाते हैं। उपमुखिया रहते हैं, वहां नगर निगम का काम नहीं होता है। तो कोई भी शहर के अन्य इलाकों का दर्द समझ सकता है। ऐसे में राज्य के दूसरे जिले तो केवल भगवान भरोसे ही रहते हैं।

शनिवार की सुबह बारिश क्या हुई, बिहार विधानमंडल पानी पानी हो गया। यहां के मुख्य गेट से लेकर प्रांगण तक पानी से फुल। नालियां बंद। नगर निगम का काम केवल सरकारी कागजों पर। और तो और, बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री आज पैदल अपने घर से निकल नहीं पाएंगे, क्योंकि पानी जमा है। पानी ने उनके कैंपस को भी पानी-पानी कर दिया है।

वैसे, ये पहली बार नहीं हुआ है। कुछ साल पहले की तस्वीर याद कीजिए। उस समय के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इसी पानी के कारण हाफ पैंट में सड़क पर आ गए थे। जब मीडिया ने खूब क्लास ली, तो पटना नगर निगम की ओर से यह कहा गया कि उसे तो शहर के सीवेज सिस्टम की पूरी जानकारी ही नहीं। जबकि हर साल करोड़ों रुपये आते हैं और खत्म हो जाते हैं।

इस बार भी वैसी ही स्थिति है। राज्य के कई जिले बारिश से परेशान हैं। बाढ़ की दस्तक हो चुकी है। लोग अपने स्तर पर निबटने की तैयारी में हैं, क्योंकि उन्हें बिहार सरकार की कार्यप्रणाली अच्छे से पता है। राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा बेशक पूरी तैयारी की बात करें, लेकिन बाढ़ का स्थायी समाधान और राहत अभियान दोनों की असलियत राज्य के लोगों को भलीभांति पता है।