सर्वे से होगी सियासी किस्मत का फैसला, बैतूल में खंडेवाल की चर्चा

मध्य प्रदेश में हर राजनीतिक दल पूरी तरह से चुनावी मोड में दिख रहा है। विधानसभा चुनाव जैसे नजदीक आ रहे दोनों ही राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की धड़कन तेज हो गई है। भाजपा कांग्रेस एवं सरकार की आंतरिक सर्वे ने प्रत्याशियों की रातों की नींद उड़ा दी हैं। हर क्षेत्र में साफ-सुथरी छवि वाले प्रत्याशियों की तलाश दोनों ही राजनीतिक दल जोर शोर से कर रहे हैं। भाजपा हो या कांग्रेस कोई भी इस बार किसी को वॉकओवर नहीं देना चाहती है। वर्तमान में कांटे की टक्कर वाली बात प्रदेश की जनता मान रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के चुनाव पिछले चुनाव से हटकर होंगे, यही वजह है कि राजनीतिक दल सोशल मीडिया, वॉइस कॉल सर्व ,एवं सर्वेएजेंसी का सहारा लेकर प्रत्याशियों के चयन में लगी हुई है। ऐसे में आदिवासी बाहुल्य बैतूल विधानसभा क्षेत्र में भी नए चेहरे की तलाश जारी है। आदिवासी विधानसभा हर बार की तरह इस बार भी की-फैक्टर के रूप में काम करेगी। स्थानीय लोगों की मानें तो बैतूल की राजनीति एक बार फिर खंडेलवाल परिवार के आसपास ही घूमती दिख रही है। दशकों से इस परिवार ने समाज के लिए काम किया है। गौर करने योग्य यह भी है कि विजय खंडेलवाल के  निधन के बाद हुए लोकसभा के उपचुनाव में हेमंत खंडेलवाल ने चुनाव जीता था। इसके बाद से ही लोकसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई थी, तो विधानसभा चुनाव में हेमंत खंडेलवाल ने भाग्य आजमाया था। साल 2018 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी निलय डागा से 22000 से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद से ही भाजपा लगातार प्रयास कर रही है कि इस सीट पर किसी भी हाल में भाजपा को जीत हासिल हो। प्रदेश स्तर के रणनीतिकार इसके लिए सशक्त उम्मीदवार की तलाश कर रहे हैं।

हालांकि,  वर्तमान में भाजपा के कई दावेदार हैं, जिनमें प्रमुख हैं हेमंत खंडेलवाल, पूर्व विधायक अल्केश आर्य ,भाजपा के जिला अध्यक्ष बबला शुक्ला एवं खंडेलवाल परिवार के युवा तुर्क योगी खंडेलवाल। ध्यान देने योग्य यह भी कि कुछ समय पहले ही योगी खंडेलवाल  विदेश से एलएलएम कर वापस आएं है और उसके बाद से समाजसेवा के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहे हैं। युवाओं के साथ साथ आदिवासी वर्ग में भी गहरी पैठ बनाए हुए हैं। विदेश अध्ययन के बाद जनसेवा का जज्बा लेकर कार्य करने वाले योगी खंडेलवाल की लोकप्रियता से भाजपा के प्रदेश स्तर के कई नेता काफी प्रभावित हुए हैं। कहा जा रहा है कि आंतरिक सर्वे में भी इनके नाम को लेकर बैतूल की जनता ने स्नेह दिखाया है। विधानसभा चुनाव में जनता जिसके साथ हो, पार्टी नेतृत्व को भी उस पर विचार करना होता है।
बीते कुछ समय से जिस प्रकार से बैतूल में योगी खंडेलवाल युवाओं और आदिवासियों के बीच अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं, उससे क्षेत्र के अधिकांश सामाजिक कार्यकर्ता उनके कायल हो चुके हैं। वह वैश्य महासभा के युवा विंग के प्रदेश महासचिव भी हैं। स्वयं योगी खंडेलवाल कहते हैं कि मेरे दादा जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। वे प्रदेश के पहले जनजातीय मंत्री थे। मैं उनकी विरासत को आगे ले जाना चाहता हूं। मेरा उद्देश्य राजनीति मैं आकर दबे कुचले उपेक्षित परिवारों की सेवा करना है।
बैतूल से लेकर भोपाल तक यह सभी को पता है कि योगी खंडेलवाल की निकटता संघ से भी है। संघ के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में योगी खंडेलवाल महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। जब भी संघ अथवा उसके अनुषांगिक संगठनों की ओर से भी दायित्व दिया जाता है, योगी खंडेलवाल पूरी तत्परता के साथ अपने दायित्व का निर्वहन करते आ रहे हैं। बैतूल विधानसभा में जब जनता की रायशुमारी की जाती है, तो अधिकांश लोगों का यही कहना होता है कि वर्तमान में कांग्रेस के लोकप्रिय विधायक निलय डागा को चुनौती देने की स्थिति में कोई युवा चेहरा ही हो सकता है। ऐसे में योगी खंडेलवाल भाजपा के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं।