Pollution in Delhi : दिल्ली में बाहरी वाहनों पर लगी पाबंदी, प्रदूषण को लेकर कई सख्त कदम

21 नवंबर तक ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अपवादों को छोड़कर सभी निर्माण और मकान गिराने की गतिविधियों पर 21 नवंबर तक रोक रहेगी। दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित ग्यारह थर्मल प्लांटों में से छह को 30 नवंबर तक बंद रहने का निर्देश दिया गया है। पिछले दस दिनों से भी अधिक समय से जहरीले स्मॉग की परत से ढके हुए हैं।

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण कम नहीं हो रहा है। इसको लेकर दिल्ली सरकार की ओर से कई सख्त कदम उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के सामने हलफनामा दी गई है और प्रदूषण के कारण लॉकडउन तक लगाने की बात हो चुकी है। बुधवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बाहरी राज्यों से राजधानी दिल्ली में आने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। केवल आवश्यक सेवाओं के वाहन को प्रवेश मिलेगी। इसके साथ ही सार्वजनिक परिवहन पर जोर दिया गया है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर 10 साल पुरानी डीज़ल और 15 साल पुरानी पेट्रोल की गाड़ियों की सूची यातायत विभाग की तरफ से पुलिस को दी गई है जिसको लेकर वह कार्रवाई शुरू करेंगे। पेट्रोल पंप पर जो PUC अभियान चल रहा है उसको और सख्त किया जाएगा। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर, बाहर से आने वाले वाहनों के शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने के लिए कल से 1,000 निजी CNG बसों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू होगी। मेट्रो और DTC की तरफ़ से DDMA को यात्रियों को खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति के संबंध में पत्र लिखा गया है।

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों को अगली सूचना तक बंद रखने का निर्देश दिया गया है। ऐसे शिक्षण संस्थान, जो कोविड-19 महामारी की वजह से अबतक बंद थे और खुलने लगे थे, उन्हें पढ़ाई के ऑनलाइन मोड पर वापस जाना होगा। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण संकट से निपटने के लिए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों को कई निर्देश जारी किए।सीएक्यूएम ने निर्देश दिया है कि दिल्ली-एनसीआर में सरकारी कार्यालयों में कम से कम 50 प्रतिशत कर्मचारियों को 21 नवंबर तक घर से काम करने की अनुमति दी जाए। निजी प्रतिष्ठानों को भी इसे लागू करने को प्रोत्साहित किया जाए ताकि वाहनों से होने वाला प्रदूषण कम हो सके।

वहीं, दिल्ली सरकार के परिवहन व्यवस्था और योजनाओं को सफल बताते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि गोवा के टैक्सी वालों ने मुझे बताया कि यहां नेता हमें टैक्सी माफिया बोलते हैं। हमारी बेइज्ज़ती की जाती है। हमारी सुनवाई नहीं है…अगर गोवा में हमारी सरकार बनी तो एक कॉर्पोरेशन बनाएंगे जिसमें 1-2 अफसर और बाकी टैक्सी वाले होंगे। किराया टैक्सी वाले तय करेंगे, किराया साल में कितनी बार बढ़ना चाहिए ये टैक्सी वाले तय करेंगे। अगर किसी टैक्सी वाले के साथ कोई दुर्घटना होती है तो उसके इलाज का पूरा खर्च गोवा सरकार देगी।