नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण अभी भी अपना रूप दिखा रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार खतरे के निशान से उपर है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद तमाम स्कूल बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर राष्ट्रीय राजधानी में अस्पतालों की निर्माण गतिविधियों की अनुमति देने का आग्रह किया है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए तैयारी करने और उसका मुकाबला करने के लिए अस्पतालों के बुनियादी ढांचे में सुधार का काम शुरू कर दिया गया था और 7 नए अस्पतालों का निर्माण शुरू किया गया था, लेकिन निर्माण प्रतिबंध के कारण काम बंद हो गया है। दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि उन्होंने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के अपने निर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली और पड़ोसी राज्यों को औद्योगिक और वाहनों से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है, जिसे बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मुख्य कारणों के तौर पर गिना जाता है। पिछले महीने दिवाली के बाद से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है। हवा की बिगड़ती सेहत के लिए पराली जलाने को एक कारण बताया गया।
मुरादाबाद में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। एक स्थानीय ने बताया, “पहले के मुकाबले काफी दिक्कतें हो रही हैं। आंखों में जलन, सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है।”