नई दिल्ली। इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल यानी शनिवार से शुरू हो रहा है। देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र में माता के आगमन का विचार और गमन का विचार किया जाता है – शशिसूर्ये गजरूढा शानिभौमे तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता ।।
इस प्रकार उपरोक्त के अनुसार इस नवरात्र में माता का आगमन घरों में घोड़े पर हो रहा है। जब भी नवरात्र में माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता , तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात आदि से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
पंडित आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री का कहना है कि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार को हो रहा है चढ़ती का व्रत 2 अप्रैल को किया जाएगा। प्रतिपदा से लेकर के नवमी पर्यंत माता भगवती के नौ रूपों की उपासना की जाती है, पूजा की जाती है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सूर्योदय काल से लेकर के प्रतिपदा तिथि पर्यंत 12:28 तक श्रेष्ठ समय है। सूर्योदय से लेकर के दिन में 12:28 तक कलश स्थापना कर लिया जाए तो अति उत्तम होगा उसमें भी यदि शुभ चौघड़िया प्राप्त हो जाए तो और भी शुभ फल की वृद्धि हो जाती है।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घटस्थापना करना न भूलें। यह त्योहार के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। नवरात्रि के सभी दिनों में दशमी तक अखंड दीपक जलाएं। यदि यह आपके लिए संभव नहीं है, तो वैकल्पिक रूप से आप त्योहार के समापन तक हर दिन सुबह और शाम को आरती भी कर सकते हैं। नवरात्रि के सभी दिनों में दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की सलाह दी जाती है। – देवी मां के सभी अवतारों को लाल फूल चढ़ाएं। पूजा के दौरान लाल कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। प्रतिदिन माता को श्रृंगार अर्पित करने का प्रयास करें।