राहुल गांधी ने कहा, सरकार के पास न सही हमारे पास है किसानों का डाटा

मृतक किसानों को मुआवजा देने से बचने के लिए सरकार बेशर्मी पूर्वक मौत के आंकड़े ना होने की बात कर रही है। सरकार के पास भले ही आंदोलनरत किसानों की मौत के आंकड़े ना हो, लेकिन जनता के आंसुओं में सब रिकॉर्ड है। कोई चाह कर भी सरकार की तानाशाही को भूल नहीं सकता है।

नई दिल्ली। पंजाब विधानसभा सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से सियासी मुद्दों को उछाला जा रहा है। किसान आंदोलन में मरे किसानों की संख्या और मुआवजे की बात को लेकर जैसे ही संसद में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह कहा कि सरकार के पास आंदोलन में मरे किसानों की कोई आधिकारिक सूची नहीं है, उसके बद राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई। शुक्रवार को सांसद राहुल गांधी ने कहा कि सरकार के पास नहीं है, तो हम यह आंकड़ा देने को तैयार हैं।
मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने कहा कि कुछ दिन पहले सदन में एक सवाल पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार 700 मृतक किसानों (किसान आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत) को मुआवज़ा देगी या नहीं? इसका जवाब मिला कि उनके पास किसानों का कोई रिकॉर्ड नहीं था। कोरोना में कितने लोग मरे और किसान कितने मरे सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसका कारण ये हैं कि आप इन लोगों को मुआवज़ा नहीं देना चाहतें। जब ये शहीद हुए आपने सदन में 2 मिनट का मौन व्रत नहीं किया। अगर वो चाहते हैं तो हमारी लिस्ट लें और 700 लोगों को मुआवज़ा दें।


उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब सरकार के पास 403 नाम है उनको हमने 5 लाख रु.का मुआवज़ा दिया है,152 लोगों को हमने नौकरी दी है और बाकी लोगों को भी देंगे। हमारे पास 700 में से 500 नाम है जो लिस्ट हमने सरकार को दी। बाकी नाम हमारे पास पब्लिक रिकॉर्ड से हैं उसकी जांच कर सरकार 700 लोगों को मुआवज़ा दें।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘जब प्रधानमंत्री ने कृषि-विरोधी क़ानून बनाने के लिए माफ़ी मांग ली तो वह संसद में यह भी बतायें कि प्रायश्चित कैसे करेंगे- लखीमपुर मामले के मंत्री की बर्खास्तगी कब? शहीद किसानों को मुआवज़ा कितना-कब? सत्याग्रहियों के ख़िलाफ़ झूठे केस वापस कब? एमएसपी पर क़ानून कब? इसके बिना माफ़ी अधूरी!’’

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की गई थी। संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन इन कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा ने मंजूरी प्रदान कर दी।