कमलेश भारतीय
आदमपुर का चुनाव परिणाम आ गया । भाजपा के खाते में यह सीट गयी और कांग्रेस के जेपी हारे । बाकी बचे बीस प्रत्याशियों की जमानतें जब्त ! इनमें आप पार्टी के प्रत्याशी सतेंद्र सिंह और इनेलो के प्रत्याशी कुरड़ाराम नम्बरदार भी शामिल हैं यानी सीधी टक्कर बन गया था यह चुनाव कांग्रेस और भाजपा में ! इस तरह यह पहला रेड सिग्नल इनेलो और आप पार्टी के लिए है कि आपको जनता ने किस कदर नकार दिया है ! बेशक अरविंद केजरीवाल के साथ आये पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आदमपुर में कहा था कि अनाज मंडी की दुकान नम्बर 107 की राजनीति खत्म हो जायेगी लेकिन यह बड़बोलापन ही साबित हुआ और एक बार फिर बिश्नोई परिवार के नये सदस्य को जीत मिली । इसके बावजूद भव्य बिश्नोई की जीत का अंतर आंकड़े देकर बताया जा रहा है कि लगातार कम होता जा रहा है । यह एक रेड सिग्नल है बिश्नोई परिवार के लिए जिनकी राजनीतिक आकांक्षाओं के चलते चार चार उपचुनाव इस क्षेत्र की जनता को झेलने पड़े ! क्या आगे भी इस तरह की नौबत आयेगी या भाजपा तक आकर इस परिवार की दलबदल की सोच को विराम लग जायेगा ? दूसरी ओर आप पार्टी के सतेंद्र सिंह ने भी लगातार दल बदले हैं और उनकी सोच क्या आप तक टिकी रहेगी ? यह भी एक सवाल और रेड सिग्नल है उनके ऊपर ! अपने ही गांव न्योली कलां में भी सतेंद्र दूसरी बार हारे हैं । इसके विपरीत कुरड़ाराम नम्बरदार कम से कम अपने घर बालसमंद में तो जीते ! बालसमंद पर सभी दलों ने पूरा जोर लगा रखा था । कांग्रेस की ओर पूर्व शिक्षामंत्री गीता भुक्कल यहां पार्टी ऑफिस की इंचार्ज थीं । दीपेंद्र हुड्डा भी यहां ट्रैक्टर चलाते आये तो दुष्यंत चौटाला भी अपने ननिहाल में वोट मागने आये ! यही क्यों आप पार्टी ने तो भव्य व दुष्यंत की रैली के ठीक सामने रोड शो ही निकाला ! इसके बावजूद पार्टी प्रत्याशी अपनी जमानत न बचा पाये ! क्या यह रेड सिग्नल नहीं ? कुरड़ाराम अपने दम पर कम से कम अपने गांव में तो नम्बर वन रहे , आप प्रत्याशी तो अपने गांव में भी हार गये ! कुरड़ाराम ने भी बिल्कुल आखिरी समय पर कांग्रेस का हाथ झटक कर इनेलो ज्वाइन की थी और चट मंगनी , पट ब्याह की तरह अभय चौटाला ने उन्हे इनेलो की टिकट थमाने में देर नहीं की थी ! अब इनेलो के लिए भी यह रेड सिग्नल है कि आखिर प्रत्याशी का चयन इतनी जल्दी करना चाहिए था या नहीं ? जयप्रकाश को बाहरी प्रत्याशी के रूप में सन् 2009 के बाद फिर लाना पड़ गया । क्यों ? यही मुद्रा बना रहा । कोई आदमपुर से प्रत्याशी क्यों नही मिला ?
मुद्दे बहुत से उठे -शिक्षा , स्वास्थ्य , रोज़गार, दलबदल , बदहाली और पेयजल जैसे अनेक मुद्दे उठे ! क्या समय रहते स्कूलों को बहाल नहीं किया जा सकता था ? आदमपुर की बदहाली की ओर ध्यान नही दिया जा सकता था ?
कांग्रेस की गुटबाजी भी किसी रेड सिग्नल से कम नहीं । इससे कैसे छुटकारा पाया जाये ? यह चिंतन का विषय है । यह जीत किसकी है ? चौ भजनलाल परिवार की , भाजपा की या गठबंधन की ? किसने मुंह दिखाई की तो किसने दिल से मदद की ? सभी पार्टियों को यह भी शोध करना है !
कौन कौन कितने पानी में
सबकी है पहचान मुझे !
एक बार सभी दलों को यह देखना होगा !
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। )