शेख हसीना का रहा भारत से पुराना कनेक्शन

दिल्ली में 1981 तक रहीं शेख हसीना।

नई दिल्ली। शेख हसीना के पिता बांग्लादेश के राष्ट्रपिता प्रथम प्रधानमंत्री बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान व उनके परिवार के 18 लोगों की 15 अगस्त 1975 को हत्या हुई थी। इस घटना को सेना की एक टुकड़ी ने अंजाम दिया था। इस कत्लेआम के 15 दिन पहले शेख हसीना अपने परमाणु वैज्ञानिक पति के पास जर्मनी चली गईं थीं। बाद में पूरे परिवार को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भारत में शरण दी। वह यहां दिल्ली में 1981 तक रहीं।

उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान को बंगबंधु की उपाधि भारत में ही मिली थी। एक सैनिक टुकड़ी के विद्रोह का वह और उनका परिवार शिकार हुआ। 1971 में भारत की सैन्य सहायता और उनके प्रयास से बांग्लादेश आज़ाद हुआ था। तब पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति वाहिनी की सैन्य मदद भारत ने की थी। 1971 के पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की सैन्य कार्रवाई का नतीजा बांग्लादेश का जन्म था। इसे ही 1971 का भारत-पाक युद्ध कहा जाता है। इससे पहले 1965 में पाक से युद्ध हुआ था।

बांग्लादेश बनने के बाद शेख मुजीबुर्रहमान अपने देश के पहले प्रधानमंत्री बने। उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता कहा जाता है। उनकी हत्या के बाद देश में कई वर्ष तक सैन्य शासन रहा। अब फिर बांग्लादेश में सत्ता सेना के हाथों आ गयी। शेख हसीना लंबे समय तक बांग्लादेश की पीएम रहीं। उनकी सत्ता खासकर छात्रों को रास नहीं आई। उनकी कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका गया। लोग जुड़े। हसीना को देश छोड़ने की चेतावनी के 45 मिनट के भीतर अपना देश छोड़ना पड़ा।

बांग्लादेश का सिविल विद्रोह का इतना असर रहा कि लोग अपने ही राष्ट्रपिता बंग बन्धु शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा तोड़ रहे हैं। हसीना के शासन करने के तौर तरीके से जनता त्रस्त थी। इस विद्रोह के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का संदेह बताया जा रहा है। शेख हसीना को एक बार फिर भारत में शरण मिल गयी है। उनका विमान सुरक्षा कारणों के चलते हिंडन एयर बेस (गाज़ियाबाद)में लैंड कराया गया।

उधर पूर्व प्रधानमंत्री खालिद ज़िया अपने ही देश में नजरबंद हैं। पड़ोसी देश में राजनीतिक उथल-पुथल चिंता का विषय है। उम्मीद है कि भारत की भूमिका पहले की तरह उचित ही होगी। तेजी से आर्थिक तरक्की कर रहे देश का यह हाल ठीक नहीं है। बांग्लादेश की पूर्व पीएम को शरण देने का पड़ोसी देशों पर क्या असर होगा? ग्लोबल इम्पैक्ट पर भी नजर रखनी होगी। दोनों देशों भारत-बांग्लादेश के बीच संबन्ध का क्या रूप होगा?यह वक़्त पर पता चलेगा।