गांव-गली के बेटे और राजवंश की लड़ाई में किसका पलड़ा भारी?

अपने ही क्षेत्र में घिरे कमलनाथ , नुक्कड़ सभाओं के सहारे कमलनाथ

मध्य प्रदेश के वर्तमान विधानसभा चुनाव के रण क्षेत्र में सबसे अधिक उत्साहित एवं करवट बदलने वाला नजारा कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विधानसभा क्षेत्र से ही सामने आ रहा है । कमलनाथ के विधानसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटों के अंतर्गत लगभग हर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस के बीच जबरदस्त टक्कर दिखाई दे रही है । पिछली बार अर्थात वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बंटी साहू भले ही 25000 वोटो से कमलनाथ से हार चुके हों , परंतु इस बार कमलनाथ अपनी ही विधानसभा सहित लगभग सभी विधानसभाओं में भारतीय जनता पार्टी की रणनीति में उलझे हुए नजर आते हैं । एक तरफ नकुलनाथ का वंशवाद परिदृश्य और कमलनाथ की व्यवसायिक छवि है तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बंटी साहू को गांव गली का बेटा बताया जा रहा है । यही बीजेपी उम्मीदवार की सबसे बड़ी पहचान है ।

2019 में भाजपा को मिले 44% वोट , इस बार 48% की उम्मीद ।

जहां तक चर्चा पिछले विधानसभा चुनाव अर्थात वर्ष 2019 की की जाए तो पिछले चुनाव में साहू को 44 फीसदी वोट मिले और 2019 में कमलनाथ के खिलाफ वह केवल 25,000 वोटों से हार गए थे। जबकि कमलनाथ के गढ़ में साहू अपना पहला चुनाव लड़ रहे थे। यहां एक स्थानीय पत्रकार ने कहा कि ‘साहू ने तब से अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। वह इस बार कमल नाथ की जीत का अंतर और कम कर देंगे। इस बात में भी कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि ऐसा परिणाम सामने आए कि मध्य प्रदेश में बड़े राजनैतिक तूफान की परिस्थितियां पैदा हो जाएं। अमित शाह जैसे भाजपा के बड़े नेता और अन्य मंत्री भी यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं। छिंदवाड़ा विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए संघ एवं संगठनों के अधिकारी भी लगातार ताकत लगा हुए दिखाई देते हैं ।
सियासी जानकारों का मानना है कि वैसे तो इस इलाके में कमलनाथ की सियासी पकड़ बहुत मजबूत है, परंतु इस बार परिस्थिति कुछ अलग है । यह बात बिल्कुल तय है कि कुछ सीटों पर प्रत्याशियों की देरी से घोषणा और कुछ सीटों पर प्रत्याशियों के चयन से स्थितियां कमजोर सी दिख रही हैं। राजनीतिक जानकार अशोक सिंह कहते हैं कि हालांकि यह चुनाव से पहले के ही अपने आंकलन हैं। असलियत तो परिणाम ही बताते हैं कि कौन कमजोर रहा और कौन मजबूत। लेकिन वह बताते हैं कि कुछ सीटों पर कांग्रेस ने प्रत्याशियों के चयन में देरी हुई है। इसमें आदिवासी बाहुल्य अमरवाड़ा की सीट भी शामिल है। इसलिए यह कहना कि छिंदवाड़ा की सभी सातों सीटें इस बार कांग्रेस के लिए उतनी ही आसान है जितनी पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान थी, थोड़ा कठिन है। कुल मिलाकर कांग्रेस कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अपनी विधानसभा सीट के चक्कर में शायद आसपास की 6 विधानसभा सीटों पर कमजोर एवं पूरी तरह से घिर गए हैं ।

अपनी विधानसभा सीटों पर नुक्कड़ सभाएं करते हुए नजर आए कमलनाथ ।

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक आश्चर्यजनक एवं असमंजस से भरा हुआ विधानसभा चुनाव छिंदवाड़ा विधानसभा चुनाव कहा जा सकता है । क्योंकि यहां से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे लगभग 40 साल से छिंदवाड़ा पर राज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को कांग्रेस पार्टी ने वर्तमान विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया है । इसके अतिरिक्त उनके पुत्र नकुलनाथ को उन्होंने आसपास की 6 विधानसभा सीटों पर पूरी तरह से जिम्मेदारियां देते हुए अपने पूरे परिवार को इस जिम्मेदारी के लिए पिछले एक महीने से अधिक समय से लगा रखा है । कमलनाथ का पूरा परिवार अपनी विधानसभा सहित आसपास की 6 विधानसभा पर पूरी जिम्मेदारी के साथ कार्य कर रहा है परंतु राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं की लड़ाई इतनी आसान नहीं है क्योंकि पिछले 15 दिनों के अंतराल में जो तस्वीर दिखाई दी, उसमें सबसे हास्यास्पद एवं महत्वपूर्ण तस्वीर और नुक्कड़ समाज से जुड़ी हुई थी । जानकारी के अनुसार पिछले 15 दिनों में 100 के लगभग नुक्कड़ समय स्वयं कमलनाथ एवं उनके परिवार ने छिंदवाड़ा विधानसभा सीट सहित अन्य विधानसभा में की है । अर्थात कमलनाथ को स्वयं एहसास है कि कहीं ना कहीं वह स्वयं कमजोर हैं एवं आसपास की विधानसभा सीटों की जो जिम्मेदारी उन्होंने ली है वहां भी स्थितियां भारतीय जनता पार्टी के लिए अधिक अनुकूल दिखाई देती हैं ।