नई दिल्ली। धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं। इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस दिन सोना और चांदी जैसी धातुओं को खरीदना अच्छा माना जाता है। इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है, इसलिए धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदन परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि इस मौके पर सिर्फ सोने और चांदी की ही नहीं, बल्कि कई अन्य सामान भी लोग खरीदते हैं। कई लोग इस दिन झाडू खरीदना शुभ मानते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इसके अलावा और भी कारण हैं जिसकी वजह से धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धनवंतरी का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धनवंतरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धनवंतरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है। इस दिन लोग गणेश और लक्ष्मी को घर लाया जाता है। इस दिन लोग किसी को उधार नहीं देते हैं और ना ही लेते हैं। इस दिन धन की वृद्धि के लिए लोग नई वस्तुएं लेते हैं। इस दिन लक्ष्मी के साथ-साथ मां धन के देवता कुबेर और यमराज की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है इस दिन अगर मां लक्ष्मी घर आती हैं तो वो हमेशा के लिए रुक जाती हैं। इसलिए इस दिन विशेष पूजा का महत्व होता है। इस दिन यमराज की पूजा का महत्व इसलिए है क्योंकि दिवाली के समय अधिकतर प्रदोष काल का समय होता है। इसलिए शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो यमराज को दीपदान करता है उसकी आकाल मृत्यु नहीं होती।