देर रात गिरपफ्तार किए गए पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, राकांपा कह रही है यह कार्रवाई राजनीति प्रेरित

महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में 100 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत एवं वसूली मामले में की जा रही आपराधिक जांच के संबंध में धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत राकांपा नेता के बयान दर्ज किए। वसूली के आरोपों के कारण देशमुख को अप्रैल में इस्तीफा देना पड़ा था।


नई दिल्ली।
आखिरकार करीब 12 घंटे की पूछताछ के बादम हाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख अनिल देशमुख को गिरपफ्तार कर लिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन के एक मामले में अनिल देशमुख को गिरफ्तार कर लिया। धन शोधन का यह मामला महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में कथित वसूली गिरोह से जुड़ा है। देशमुख इस मामले में ईडी द्वारा जारी किए गए कम से कम पांच सम्मनों पर पेश नहीं हुए थे, लेकिन बंबई उच्च न्यायालय के गत सप्ताह इन सम्मनों को रद्द करने से इनकार करने के बाद वह एजेंसी के समक्ष पेश हुए।

पूछताछ ओर बयान दर्ज कराने के सत्र काफी लंबे चले क्योंकि अधिकारियों ने बताया कि देशमुख इस मामले में ‘‘अहम व्यक्ति’’ हैं और उनसे मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वाजे द्वारा किए गए खुलासों समेत मामले में कई बिंदुओं पर पूछताछ करने की आवश्यकता है।

देशमुख ने ईडी कार्यालय जाने से पहले एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह गत सप्ताह बंबई उच्च न्यायालय का आदेश आने के बाद खुद एजेंसी के समक्ष पेश हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया में कहा गया कि मैं ईडी के साथ सहयोग नहीं कर रहा हूं…मुझे सम्मन भेजे जाने के बाद मैं दो बार सीबीआई के समक्ष पेश हुआ…उच्चतम न्यायालय में मेरी याचिका लंबित है लेकिन इसमें समय लगेगा। अत: मैं खुद ईडी के पास जा रहा हूं। ईडी ने जब जून में छापा मारा था तो मैंने और मेरे परिवार ने उसके साथ सहयोग किया था।’’

देशमुख ने पूछा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह कहां हैं? उन्होंने कहा कि उन्होंने मेरे खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए, लेकिन वह अब कहां हैं?

बंबई उच्च न्यायालय ने 29 अक्टूबर को दिए अपने फैसले में कहा कि देशमुख यह साबित करने में असफल रहे हैं कि एजेंसी उनके खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई कर रही है। अदालत ने यह कहा कि यदि देशमुख को इस मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका है, तो उनके पास किसी भी अन्य वादी की तरह उचित अदालत के पास जाकर राहत मांगने का अधिकार है। अदालत ने निदेशालय को निर्देश दिया कि वह देशमुख से पूछताछ के दौरान उनके वकील को केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में इतनी दूरी पर मौजूद रहने की अनुमति दे, जहां वह उन्हें ‘‘देख सकें, लेकिन सुन नहीं सकें।’’

इसके विरोध में राज्य के मंत्री और राकांपा नवाब मलिक ने कहा कि अनिल देशमुख की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है, इसका मकसद महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन को बदनाम करना है।