नई दिल्ली। दुनिया भर में 14 अप्रैल को रिलीज हो रही फिल्म ‘सर मैडम सरपंच’ उन भारतीय लड़कियों की अविश्वसनीय कहानियों पर आधारित है, जो उच्च अध्ययन के लिए विदेश चली गईं और अपने गांवों की सरपंच बनने के लिए घर लौटीं।
अपने जीवन की कहानी को बड़े पर्दे पर बनते हुए देख पैडवीमेन ऑफ इंडिया माया विश्वकर्मा काफी खुश हैं। वह कहती हैं ”भारत शोधों के मामले में नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। दूसरी तरफ हमारे शहरों, कस्बों और गांवों में सरपंच पति और पार्षद पति जैसे शब्द सुनने मिलते हैं। हम धीरे-धीरे इन परम्पराओं को तोड़ रहे हैं, लेकिन अभी इसमें काफी वक्त लगेगा। अब अगला सपना हमारे गांव में स्कूल खोलना हैं।”
ओड़िसा की महिला सरपंच आरती देवी बीबीसी की 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं। उन्होंने अपने गांव के लिए पानी से लेकर बिजली, सडकों से लेकर बेटी पढ़ाओ के स्लोगन से भारत को अवगत कराया। आरती देवी कहती हैं कि ”मुझे खुशी हैं कि प्रवीण मोरछले जी और मैडम एरियाना ने मुझे इतने बड़े प्लेटफार्म पर बुलाकर एक ऐसा माध्यम बनाया, जिससे मेरे काम को दुनिया देखेगी। हम लोग गांव में काम करते हैं, लेकिन अब इन सबके जरिये हमारे काम को देख कर लोग प्रभावित होंगे और भारत में बड़ा बदलाव लाएंगे। मैं सबको धन्यवाद करती हूं।”
फ़िल्म में सरपंच का किरदार निभा रही एरियाना सजनानी को पहली ही फ़िल्म में ऐसा सशक्त किरदार निभाने का मौका मिला, जो नारी शक्ति को दर्शाती हैं। एरियाना कहती है कि ”भाषा को लेकर मुझे ज्यादा मेहनत करनी पड़ी, क्योंकि हिंदी मेरी दूसरी भाषा हैं। मैं न्यूयॉर्क की रहनेवाली हूं। मेरी पढ़ाई लिखाई सब वही से हुई हैं। मुझे गांव की भाषा बोलना, उनके एक्सेंट को पकड़ना और हाव-भाव में उस कल्चर को पेश करना मेरे लिए चुनौती पूर्ण था। माया विश्वकर्मा और आरती जी से मिलने के बाद मुझमें एक शक्ति का संचार हुआ। वाकई वो महान महिलाएं हैं, जिनसे सभी को प्रेरणा मिलती हैं।”