नई दिल्ली। कुलविंदर को विशाल डडलानी सहित अनेक लोगों ने नौकरियों की ऑफर दी है और उसके परिवार को कपूरथला के गांव में जाकर सम्मानित किया जा रहा है । जहां कुलविंदर कौर की ओर से आ रहा है कि मां के सम्मान में ऐसी हज़ार नौकरियां कुर्बान, वही़ं कंगना रानौत की ओर से यह बात आ रही है कि मैं भी पलट कर थप्पड़ जड़ सकती थी लेकिन मेरे मां बाप ने ऐसे संस्कार नहीं दिये !
पंजाब के मुख्यमंत्री व खुद कलाकार रहे भगवंत मान ने इस मामले में पूछे गये सवाल पर कहा कि कंगना रानौत को थप्पड़ उसके पिछले ज़हरीले बयानों के कारण पड़ा ! फिर भी यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है परंतु कंगना रानौत को संयम बरतना चाहिए था और सारे पंजाबियों को आतंकवादी करार देने से पहले पंजाबियों के स्वतंत्रता संग्राम और उत्पादन में योगदान को याद रखना चाहिए था ।
कुछ लोग कंगना के पुराने ट्वीट निकाल निकाल कर ला रहे हैं और उसके अनेक पंगे उजागर कर रहे हैं ! कपिल शर्मा शो का भी वह एपिसोड वायरल हो रहा है जिसमें वह पंगा लेना ऐसे बता रही है जैसे यह बड़े गर्व की बात हो जबकि दूसरी तरफ कुलविंदर कौर का दामन साफ सुथरा और बेदाग है। पंद्रह साल की सुरक्षा कर्मचारी के रूप में उसका रिकॉर्ड साफ सुथरा बताया जा रहा है।
ऐसे में वह अचानक से गुस्से में क्यों आई ? जब नवनिर्वाचित कंगना रानौत ने चेकिंग के लिए ट्रे में अपना पर्स और फोन रखने की बजाय कुलविंदर का नाम पढ़कर उसे आतंकवादी कहने से संकोच नहीं किया, फिर उस स्वाभिमानी महिला का हाथ सीधे कंगना के गाल पर पड़ा। यों कुलविंदर को संयम से काम लेना चाहिए था और इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करनी चाहिए थी लेकिन इस गुस्से के पीछे कंगना के वे ट्वीट थे जो उसने किसान आंदोलन में किये थे, जिसमें धरने पर बैठी महिलाओं को सौ सौ रूपये में उपलब्ध कहा गया था। वही दर्द उभर आया कुलविंदर का क्योंकि उसकी मां भी इन प्रदर्शनकारियों में शामिल रही थी !
इससे पहले कि यह विवाद पंजाब में आतंकवाद की बहस को या ऐसी बातों को हवा दे, कंगना रानौत को आगे बढ़कर अपने मां बाप के दिये संस्कारों के अनुसार कुलविंदर को खुद माफ कर केस वापस ले लेना चाहिए। इससे कंगना का सम्मान ही बढ़ेगा। अतीत में कितने नेताओं ने अपने ऊपर इस तरह ज़ज़बाती होकर हमले करने वालों को माफ किया है और उनका सम्मान ही बढ़ा न कि घटा! और तो और श्रीमती सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था! ऐसे ही कंगना को बड़ा दिल दिखाने की ज़रूरत है। वैसे भी कहा गया है :
छमा बड़़न को चाहिए, छोटन को उत्पात
कहा विष्णु को घटि गयो, जो मारी भृगु ने लात!