सेंट पीटर्स महाविद्यालय,
कोलेंचेरी (केरल) । गत सप्ताह केरल के एर्नाकुलम ज़िले के कोलेंचेरी में स्थित सेंट पीटर्स महाविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी और तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी महात्मागांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम के छात्र सेवा विभाग के सहयोग से और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत सरकार के भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से आयोजित हुई। दोनों संगोष्ठियाँ भारतीय लोकतंत्र पर आधारित थीं।
एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन राँची विश्वविद्यालय के भूतपूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो॰ रवि भूषण जी ने किया। उद्घाटन भाषण में प्रो॰ रवि भूषण जी ने ‘भारतीय साहित्य और भारतीय लोकतंत्र’ पर अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। हिंदी और मलयालम साहित्य को लेकर ‘साहित्य की लोकतांत्रिक उन्मुखताएँ’ विषय पर महत्मागांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रति-कुलपति प्रो॰ ए॰ अरविंदाक्षन ने बीज भाषण दिया। आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी नई दिल्ली के इतिहास विभाग की डॉ॰ सैयद मुबीन ज़ेहरा ने भारतीय लोकतंत्र और साहित्य में महिलाओं की भूमिका पर भाषण दिया. देश के कई भागों से आए विभिन वक्ताओं ने शानदार रूप से राष्ट्रीय संगोष्ठी के अलग अलग विषयों पर अपनी बात रखी.
भारत में गिरमिटिया साहित्य को लेकर केरल के सेंट पीटर्स कॉलेज में पहली बार एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भी हुई। ‘आधुनिकता के संदर्भ में अप्रवासी साहित्य’ पर विचार रखते हुए रेडियो बर्लिन इंटर्नैशनल, जर्मनी के भूतपूर्व वरिष्ठ संपादक श्री उज्ज्वल कुमार भट्टाचार्य ने इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। ‘प्रवासी हिंदी साहित्य’ पर ‘वातायन-यूके’ की संस्थापक सुश्री दिव्या माथुर जी (लंदन) ने बीज भाषण दिया। अंतर राष्ट्रिय संगोष्ठी में महिला नेतृत्व और इतिहास विषय पर दिल्ली विश्विद्यालय के आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज की डॉ॰ सैयद मुबीन ज़ेहरा ने अपना भाषण दिया. डॉ सय्यद मुबीन ज़ेहरा को राष्ट्रिय तथा अंतर राष्ट्रीय संगोष्ठी में ध्यान पूर्वक सुना गया तथा वह संगोष्ठी में भाग ले रहे विद्यार्थियों तक अपनी बात पहुँचाने में सफल रहीं. राष्ट्रिय तथा अंतर राष्ट्रिय संगोष्ठी को सफल बनाने में सेंट पीटर्स महाविद्यालय, केरल के हिंदी विभाग की प्रोफ़ेसर सिंधु टी आई के साथ महाविधालय की फैकल्टी, स्टाफ तथा विधार्थियों का अभूतपूर्व योगदान रहा.