नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कमाल का आया- चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर ! आखिर निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह के फैसले को न केवल रद्द किया गया बल्कि उन पर अवमानना का केस चलाने का भी आदेश दिया है । याद रहे कि चंडीगढ़ मेयर के चुनाव में आप व कांग्रेस ने मिलकर कुलदीप कुमार को संयुक्त प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा था और पूरा गणित भी इन राजनीतिक दलों के पक्ष में था । इसके बावजूद जब परिणाम सामने आया तो किसी को भी इस पर यकीन करना मुश्किल हो गया ! बड़ी बात कि निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ वोट रद्द कर भाजपा के मनोज सोनकर को मेयर चुनाव जीतने की घोषणा कर दी । अब सुप्रीम कोर्ट ने मनोज सोनकर को तुरंत इस्तीफा देने का आदेश दिया और कुलदीप कुमार को विजेता घोषित करते हुए दोबारा मतदान करवाने से भी मना कर दिया, जिससे आप के तीन पार्षदों को तोड़ने का ऑपरेशन भी विफल बनाते कोर्ट ने कहा कि हॉर्स ट्रेडिंग का जिक्र करते दोबारा चुनाव करवाने से इंकार कर दिया । इससे आप पार्षदों को तोड़ने का दांव भी नहीं चला ! इस फैसले को कोई चुनौती भी नहीं दे सकता ! इस तरह अदालत में ही सारा फैसला हुआ । इससे पहले यह कोर्ट ही था जिसने उत्तराखण्ड में हरीश रावत की सरकार भी बहाल की थी ! क्या इस फेसले से निर्वाचन अधिकारियों को अपने रोल के बारे में कोई रोशनी मिली होगी ? वैसे तो हरियाणा के एक राज्यसभा चुनाव में भी पेन की स्याही बदल जाने की भूमिका की बड़ी चर्चा रही थी और आज तक उस जादुई पेन की तलाश जारी थी, जो अनिल मसीह के हाथों में कोर्ट ने देख लिया और उन पर केस चलाने के आदेश दे दिये ! सुप्रीम कोर्ट ने जो हॉर्स ट्रेडिंग को रोकने का फैसला किया, वह स्वागत् योग्य कदम है और लोकतंत्र को बचाने की दिशा में बहुत बड़ा फैसला कहा जा सकता है । याद रहे कि महाराष्ट्र के फैसले में भी कोर्ट ने कहा था कि यदि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा न दिया होता तो उनकी सरकार बहाल कर सकते थे । ये कैसे संकेत हैं, किस ओर संकेत हैं? क्या यही लोकतंत्र है और यही सारी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है ? ये कलम के निशान के दाग लोकतंत्र पर बहुत चिंताजनक हैं। ये दाग अच्छे नहीं हैं। इन दागों को धोने का कोई डिटर्जेंट है कोई ?