द एनिमल केयर ऑर्गेनाइजेशन (टाको) के भारत में पशु कल्याण के हित में समर्पण के दो वर्ष पूरे

 

 

नई दिल्ली। द एनिमल केयर ऑर्गेनाइजेशन (टाको) ने पूरे भारत में पशु कल्याण के हित में कार्य करते हुए और दो वर्षों के अटूट समर्पण का जश्न मनाते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। टाको की स्थापना वर्ष 2022 में वेदांता लिमिटेड की सामाजिक इकाई , अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (आफ़) द्वारा की गई थी। टाको छह मुख्य स्तंभों पर काम करता है: शेल्टर, अस्पताल, अकादमी, वन्यजीव संरक्षण, आपदा राहत प्रयास और सेक्टर डेवलपमेंट। ‘वन हेल्थ’ मॉडल पर आधारित यह समग्र दृष्टिकोण पशुओं और पर्यावरण संरक्षण की भलाई पर स्थायी प्रभाव सुनिश्चित करता है।

 

महज़ दो वर्षों की अवधि में, टाको अपने समर्पण से भारत के पशु कल्याण पर उल्लेखनीय प्रभाव डालने में सक्षम रहा है। यह प्रत्यक्ष रूप से अब तक 60,135 से अधिक पशुओं की मदद कर चुका है। फरीदाबाद में स्थित इसके आश्रय स्थल पर टाको का प्रभाव बखूबी दिखाई देता है, जिसमें 160 से अधिक बचाए गए पशुओं की देखभाल की जाती है। यहाँ, इन पशुओं को आवश्यक चिकित्सा उपचार मिलता है, जिसमें जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी शामिल है। इतना ही नहीं, जब वे पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं, तो उन्हें एक सुरक्षित वातावरण भी मिलता है। पृथ्वी के लिए वन्य जीवन के महत्व को पहचानते हुए, टाको राजस्थान सरकार के साथ मिलकर रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा दे रहा है। टाको के 1 करोड़ रुपए के योगदान ने उद्यान को गश्ती वाहन प्राप्त करने में सक्षम बनाया है, जिससे रेंजर्स को अवैध शिकार से लड़ने और लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने के लिए बेहतर उपकरण मिले हैं। इसके अलावा, अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने टाको के महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रारंभिक फंड भी आवंटित किया है।

 

टाको की अब तक की यात्रा के बारे में बात करते हुए, सुश्री प्रिया अग्रवाल हेब्बर, एंकर, टाको, चेयरपर्सन, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड और नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, वेदांता लिमिटेड, ने कहा, “टाको में, हमारा मानना ​​है कि प्रत्येक जीवित प्राणी को स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है और मानव, पशु एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। शुरुआत से ही, टाको में हमारा लक्ष्य भारत में पशु कल्याण में स्थायी प्रभाव डालना रहा है। हम एक ऐसे विश्व का सृजन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहाँ पशुओं के साथ दयालुता और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए। पिछले दो वर्षों में टाको द्वारा की गई विभिन्न पहलें इस दृष्टि को साकार करने में सामूहिक संकल्प की शक्ति का प्रमाण हैं।”

 

टाको मानता है कि यदि पशु कल्याण पर स्थायी प्रभाव डालना है, तो समाज के दृष्टिकोण और विचारधारा में बदलाव लाना सबसे अधिक जरुरी है। इसे हासिल करने के लिए, यह दिल्ली-एनसीआर में समुदायों के साथ मिलकर काम कर रहा है। विभिन्न जागरूकता अभियानों और वर्कशॉप्स के माध्यम से, इसने न सिर्फ पशुओं के प्रति जिम्मेदार और दयालु व्यवहार को संबोधित किया है, बल्कि निरन्तर रूप से पशुओं के संरक्षण, और पशु कल्याण पहल में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा भी दे रहा है।

 

टाको शहरों में पशु चिकित्सा सेवाओं के महत्व को गहनता से समझता है, और यही वजह है कि यह शहरों में रणनीतिक रूप से अपनी पहुँच का विस्तार कर रहा है। शहर के व्यस्त जीवन को देखते हुए, इसने पशु चिकित्सा एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की है। इसका एकमात्र उद्देश्य मुसीबत में फंसे पशुओं को समय पर उचित चिकित्सा सहायता प्रदान करना है। संगठन आने वाले समय में दिल्ली-एनसीआर में एक मोबाइल हेल्थ वैन उपलब्ध कराने की भी योजना बना रहा है। साथ ही, यह दिल्ली-एनसीआर में टाको अकादमी के माध्यम से पशु चिकित्सा पेशेवरों के लिए ट्रेनिंग वर्कशॉप्स का भी आयोजन कर रहा है। पशु चिकित्सा कौशल को बढ़ावा देकर, टाको यह सुनिश्चित करता है कि घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी पशुओं को देखभाल मिल सके।

 

आपात की स्थिति के दौरान भी टाको हमेशा से ही खुद को अग्रणी साबित करता रहा है। जब वर्ष 2023 में दिल्ली में बाढ़ की स्थिति देखने को मिली, उस दौरान भी टाको के व्यापक राहत और बचाव प्रयासों की वजह से असंख्य पशुओं की जान बचाई जा सकी। उन्होंने यह सुनिश्चित करते हुए तुरंत कई नाव और विशेष बचाव दल तैनात किए कि दूर-दराज के इलाकों में भी जानवरों को सहायता प्राप्त हो। सबसे कठिन परिस्थितियों में भी पशु कल्याण के प्रति टाको के समर्पण भाव का यह सबसे जीवंत उदाहरण है। कुल मिलाकर, इस तरह के बाढ़ राहत और बचाव प्रयासों के माध्यम से, टाको दिल्ली और हरियाणा में अब तक 4,850 पशुओं की मदद कर चुका है।