पंजाब की सियासत में भी है पेंच, जमीनी दौरा करेंगे हरीश रावत

देहरादून और दिल्ली से पंजाब की राजनीतिक उलझन शांत नहीं हो रही हैं। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने साफ कर दिया है कि पंजाब जाकर वहां के हालात को सुलझाने की कोशिश करेंगे। इसके लिए राहुल गांधी की सहमति मिल चुकी है।

नई दिल्ली। कांग्रेस के लिए जिन राज्यों में सरकार है, वहां भी वह चैन से नहीं है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को राज्यों की आपसी गुटबाजी को शांत करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। छत्तीसगढ़ का मसला शांत हुआ है, तो पंजाब उलझ गया है। कई विधायकों से पंजाब के प्रभारी व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत मुलाकात और बात कर चुके हैं। अब उन्होंने कहा कि राज्य का दौरा करेंगे।

सियासी गलियारों में इसके कई मायने लगाए जा रहे हैं। हालांकि, स्वयं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने कहा कि मैंने अपने पंजाब के दोस्तों से मजाक में कहा था कि मैं सोच रहा था कि अब उत्तराखंड पर ध्यान दूंगा और तुमने मेरी नौकरी का समय और बढ़ा दिया है। मुझे जब तक काम करने के लिए कहा जाएगा मैं काम करता रहूंगा। मैंने उन्हें पंजाब की स्थिति की जानकारी दी जिसकी जानकारी मैं पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष को दे चुका हूं। हमारे सब लोग चुनाव के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

असल में, कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने शनिवार को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें पंजाब में पार्टी से जुड़ी स्थिति के बारे में अवगत कराया और कहा कि बतौर प्रभारी वह अगले दो-तीन दिनों में पंजाब का दौरा भी करेंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष से मुलाकात के बाद पार्टी के पंजाब प्रभारी रावत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने राहुल जी से संक्षिप्त मुलाकात की। मैंने पंजाब की स्थिति के बारे में बताया है… मैं अगले दो-तीन दिनों में जाऊंगा। जो भी मिलना चाहे, उससे मिलूंगा। सिद्धू और कैप्टन साहब से जरूर मुलाकात करूंगा।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने सिद्धू के इस बयान को लेकर तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘‘हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती।’’ उधर, जम्मू-कश्मीर पर अपनी विवादित टिप्पणियों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे मलविंदर सिंह माली ने शुक्रवार को पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार का पद छोड़ दिया। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि यदि कश्मीर भारत का हिस्सा था तो अनुच्छेद 370 और 35ए की क्या जरूरत थी। उन्होंने यह भी कहा था, ‘‘कश्मीर कश्मीरी लोगों का देश है।’’