नई दिल्ली। इंडियास्टेट ने आज इलेक्शन एटलस ऑफ़ इंडिया नामक पुस्तक का प्रकाशन किया । इस पुस्तक का संपादन और प्रकाशन, इंडियास्टेट (Indiastat.com) के सह-संस्थापक और निदेशक डॉ. आर के ठुकराल द्वारा किया गया। पुस्तक की एक प्रति डॉ. ठुकराल ने आज भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को भेंट की। वर्ष 1952 से वर्ष 2019 तक सभी संसदीय चुनावों पर वर्ष-वार व्यापक विवरण प्रस्तुत करने वाली यह अपनी तरह की एक अनोखी पुस्तक है, इसमें जनवरी वर्ष 2022 तक का अपडेट भी शामिल है।
इस अवसर पर बोलते हुए पुस्तक के संपादक डॉ. ठुकराल ने कहा कि- इलेक्शन एटलस ऑफ़ इंडिया का पहला एडिशन बहुत सफल रहा, हमें अपने पाठकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया भी मिली, जिस कारण आम चुनाव वर्ष 2019 के बाद इसका अपडेटेड वर्ज़न लाने का फैसला किया। वह आगे कहते हैं कि भारत के मतदाता वर्ष 2019 के आम चुनाव में 91 करोड़ से अधिक थे जो अमेरिका और पश्चिमी यूरोप की संयुक्त जनसंख्या से भी अधिक है । पिछले दशक के दौरान आम चुनावों की तेज़ी से विकसित होने वाली गतिशीलता को देखते हुए, इलेक्शन एटलस ऑफ़ इंडिया का लेटेस्ट वर्ज़न भारतीय संसदीय चुनावों के बारे में एक अनिवार्य और सूचनाप्रद संग्रह होगा।
विशवस्तरी प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे यूनाइटेड नेशन डेमोक्रेटिक फण्ड (UNDEF) एसोसिएशन ऑफ़ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (A-WEB), कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन (CPA), इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस (IDEA), यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल कंसल्टेंट्स (EAPC) और हार्वर्ड की राजनीतिक वैज्ञानिक, प्रोफेसर पिप्पा नॉरिस सभी ने इंडियास्टेट (Indiastat.com) द्वारा प्रकाशित इलेक्शन एटलस ऑफ़ इंडिया को विद्वान और शोध समुदाय के लिए किए गए बहुमूल्य योगदान के लिए प्रशंसा पत्र भेजें हैं।
इलेक्शन एटलस ऑफ़ इंडिया भारतीय संसदीय चुनावों के बारे में जानकारी की एक क्रमवार व्यवस्थित प्रकाशन है। इसके अलावा, एटलस में बेहतर और सरल समझ के लिए ऐतिहासिक फोटो कोलाज, संछिप्त विवरण, विषयगत मानचित्रों, ग्राफ़, चार्ट आदि का उपयोग किया गया है। इस पुस्तक में परिसीमन (Delimitation) के बाद और राज्यों के पुनर्गठन के दौरान उप-चुनावों और निर्वाचन क्षेत्रों में परिवर्तन के बारे में ऐतिहासिक आंकड़ों पर भी प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक सूचना का एक समृद्ध साधन एवं शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, लोकतंत्र के अधिवक्ताओं और चुनाव कार्यकर्ताओं के लिए चुनावी आंकड़ों को सरल तरीकें से समझाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनेगा।