चेहरा बदल भर लेने से विकास हो पाएगा ?

कई नए चेहरों के साथ इस बार बिहार मंत्रिमंडल का गठन किया गया है। इसमें कई नए और उत्साही, पढ़े लिखे व्यक्तियों को अवसर देकर ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार जी अपनी पिछली भूल चूक को सुधारने के लिए कटिबद्ध हैं। बिहार की जो सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी – भूख और बाढ़ । बेरोजगारी के लिए तो सरकार ने पहले ही अपने घोषणा पत्र में 19 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने का वायदा किया है । इसे पूरा करने के लिए निश्चित रूप से ब्लू प्रिंट तैयार किया ही गया होगा । लेकिन, जो बात सामने नजर पर एक आम आदमी को दिखाई दे रहा है वह यह कि जितने भी चीनी मिलें और कागज मिलें है उन्हें नए रूप में शुरू करना ।

यह नई सरकार के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगा । इन मिलों के बंद होने से हजारों रोजगार में लगे लोगों के रोटी की समस्या बन गई है उसके फिर से चालू होने पर हजारों घरों के चूल्हे जलेंगे विकास का एक नया दौर शुरू होगा । यह ठीक है कि बिहार में सड़कों की स्थिति में बड़ा सुधार आया है अब बड़ी बड़ी गाडियां फर्राटे भरते आप देख सकते है , गाव शहर की बिजली अब यदाकदा नहीं नियमित रहतीं है, लेकिन इससे पेट की ज्वाला तो शांत होने वाली नहीं है । उसके लिए तो नए रोजगार का सृजन करना ही होगा ।

हाल ही में प्रधानमंत्री बिहार में ही अपने एक चुनावी भाषण में नीतीश कुमार सरकार की उपलब्धियों को गिना रहे थे , लेकिन इस बात का जिक्र करना उनके भाषण में रह गया कि आखिर पेट की ज्वाला कैसे शांत होगी, बाढ़ पीड़ितों की समस्या का समाधान कैसे और कब तक होगा ?

खैर, जो भी हो नीतीश कुमार जी को जनता ने एक अवसर फिर दिया है यदि इसका लाभ वह जानता को नहीं दे सकेंगे, तो इससे बड़ा छल बिहार के मतदाताओं के लिए और कुछ नहीं होगा । ध्यान देने की बात यह है कि जनता जो कुर्सी देती है यदि उसके मन माफिक कुर्सी पाने के बाद नेतागण नहीं कर पाते है तो उसे पलटने में देर नहीं लगती । सरकार के सामने बहुत चुनौती है, लेकिन नीतीश कुमार एक मजे हुए राजनीति हैं , उनमें राज्य को कुशल नेतृत्व देने की क्षमता है । यदि वह निश्चय कर ले तो केंद्रीय सत्ता उनके साथ है , स्वयं प्रधानमंत्री उनकी सराहना कर चुके है इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि सच में काम करने और रोटी देने का पक्का निश्चय हो तो वह दिन दूर नहीं जब वहां रोजगार और विकास की बयार बहेगी और वहां के पढ़े लिखे अथवा कामगारों को दर दर भटकना नहीं पड़ेगा ।