यूक्रेन ने झेला है जबरदस्त पलायन का दंश, 40 लाख से अधिक लोगों ने छोड़ा देश

पोलैंड के प्रधानमंत्री मैतयुस्ज मोरावेस्की ने कहा कि पोलैंड 2022 के अंत तक रूसी तेल आयात बंद के लिए कदम उठाएगा। मोरावेस्की ने कहा कि पोलैंड ने पहले ही रूसी तेल पर अपनी निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया है।

कीव। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच कई ऐसी घटनाएं हुई, जो आने वाले कई सालां तक लोगों के जेहन में याद है। अपना सबकुछ छोड़कर केवल जान बचाने के लिए यूक्रेन के करीब 40 लाख से अधिक महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग ने देश छोड़ दिया है। सरकारी आदेश के कारण युवा से लेकर वयस्क पुरूषों को देश से पलायन करने की अनुमति नहीं दी गई थी। पलायन का दर्द लोगों की आंखों में बखूबी देखा और समझा जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि रूस के हमले के बाद से अब तक 40 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। एजेंसी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में यह सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है। शरणार्थियों के लिए संरा उच्चायुक्त ने एक वेबसाइट पर बुधवार को पोस्ट किया कि अब तक लगभग 40 लाख 10 हजार लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। इनमें से 23 लाख लोग पोलैंड में प्रवेश कर चुके हैं। सहायता कर्मियों ने कहा कि यूक्रेन में लगभग 65 लाख लोग बेघर हो गए हैं।

गौर करने लायक यह भी है कि यूक्रेन के साथ हालिया दौर की वार्ता में युद्ध को खत्म करने के संभावित समझौते की रूपरेखा सामने आने के बाद रूस ने घोषणा की कि वह देश राजधानी कीव और उसके एक उत्तरी शहर के पास सैन्य अभियानों में उल्लेखनीय रूप से कमी लाएगा।

तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में आयोजित सम्मेलन में यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल ने एक रूपरेखा तैयार की जिसके तहत देश खुद को तटस्थ घोषित करेगा और इसकी सुरक्षा की गारंटी अन्य देशों द्वारा दी जाएगी। मास्को की प्रतिक्रिया सकारात्मक थी और वार्ता बुधवार को आगे बढ़ने की उम्मीद है। पांच सप्ताह से जारी खूनी युद्ध में हजारों लोग मारे गए हैं और लगभग 40 लाख यूक्रेनी लोगों को देश से पलायन करना पड़ा। यूक्रेन की सेना ने कहा कि उसने कीव और चेर्निहीव के आसपास रूसी सैनिकों को वापस जाते देखा है, हालांकि अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने कहा कि वह रूस के दावे की पुष्टि नहीं कर सकता।