बेरोज़गारी एक राष्ट्रीय आपदा, बिहार इसका केंद्र : अनुपम

देश में आज डर का माहौल बनाया जा रहा है। फिल्मकार डरे हुए हैं कि अगर सरकर पर कोई टिप्पणी कर दी तो अगली फिल्म रिलीज नहीं होगी। उद्योगपति डरे हैं कि सत्ताधारी पार्टी की आलोचना कर दी तो धंधा नहीं कर पाएंगे। मीडियाकर्मी डरे हैं कि सवाल पूछ दिया तो चैनल से छुट्टी हो जाएगी और यूट्यूब तक सीमित रह जाएंगे। नौकरी करने वाले डरे हैं कि कुछ बोला तो प्रोमोशन रुक जाएगा।

पटना। युवा नेता अनुपम के नेतृत्व में 16 अगस्त से शुरू हुई बेरोजगारी के खिलाफ हल्लाबोल यात्रा का समापन आज पटना में विशाल युवा सम्मेलन से हुआ। सम्मेलन में लगभग 30 जिलों के प्रतिनिधियों समेत जाने माने समाजवादी नेता प्रो आनंद कुमार, पूर्व सीआईसी यशोवर्धन आजाद, बैंक यूनियन के वरिष्ठ नेता सुनील कुमार, पूर्व पत्रकार और जेपी सेनानी दिनेश कुमार, छात्रों को कोचिंग दे रहे सुधीर सिंह, एसके झा के अलावा कई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
युवा हल्लाबोल के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा, राष्ट्रीय महासचिव व यात्रा प्रभारी प्रशांत कमल, राष्ट्रीय महासचिव रजत यादव,गुजरात के नेता अर्जुन मिश्रा समेत कई पदाधिकारियों ने भी अपने विचार रखे।
सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि बेरोज़गारी जीवन मरण का सवाल बन चुका है। युवा वर्ग अपना भविष्य अंधकार में देखकर हताश है। भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। लेकिन युवा देश में युवाओं की आत्महत्या आम बात होती जा रही है। यह देश का सबसे बड़ा मुद्दा होना चाहिए था। संसद में इसपर बहस होनी चाहिए थी। टीवी अखबारों में सवाल जवाब होना चाहिए था। लेकिन सच्चाई ठीक इसके उलट है। युवाओं की पीड़ा को विमर्श से ही गायब कर दिया गया है। इन्हीं कारणों से युवाओं में भारी असंतोष है जो आक्रोश का रूप लेकर समय समय पर फूटता है। बेरोज़गारी एक राष्ट्रीय आपदा बन चुकी है और बिहार इसका केंद्र है।
सभा को संबोधित करते हुए प्रो आनंद ने कहा कि आज ज़रूरत है कि युवाओं को हताशा से निकाल कर उम्मीद की किरण दी जाए। देश को निराशा से समाधान की तरफ ले जाया जाए। बेहतर भविष्य और रोज़गार के लिए सरकार से भरोसा चाहिए। यह भरोसा है ‘भारत रोज़गार संहिता’ जो बेरोज़गारी के खिलाफ शुरुआती कदम हो सकते हैं।