बरेली। इस्लामिक जिहादियों द्वारा राजस्थान के उदयपुर में की गई हिन्दू युवक कन्हैया लाल की नृशंस हत्या व देश में बढ़ती सांप्रदायिक कट्टरता के विरोध में उत्तर प्रदेश के बरेली में बजरंग दल की महानगर इकाई ने प्रदर्शन कर रोष प्रकट किया। प्रदर्शन कारियों को संबोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आलोक कुमार ने कहा कि जिहाद की मध्य युगीन अवधारणाएं धार्मिक उन्माद को बढ़ा रही हैं। ये विश्व शांति व मानवता के लिए गंभीर चुनौती हैं जिनका मुकाबला सम्पूर्ण विश्व के सभ्य समाज को करना होगा, चाहे उसकी कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े। उन्होंने उदयपुर के हत्यारों की फास्ट ट्रेक कोर्ट में सुनवाई तथा 6 माह में फांसी के द्वारा पीड़ित परिजनों को न्याय दिलाने की मांग भी की।
बरेली के लल्ला मार्केट स्थित श्री कृष्ण लीला स्थल पर हुए इस प्रदर्शन में उन्होंने कहा कि उदयपुर की घटना धार्मिक उन्माद का ही परिणाम है। इस्लाम का एक वर्ग जिहाद को जिस प्रकार समझता है, वह बेहद खतरनाक है। उसे लगता है कि गैर इस्लामिक लोगों पर हमला, हत्या व उनका माल लूटना उचित है। महिलाओं का अपहरण व उनको भोगना, माले गनीमत है। इसी अवधारणा के कारण विश्व के अनेक भागों में हिंसा व अशान्ति फैली हुई है।
विहिप कार्याध्यक्ष ने कहा कि कुछ इस्लामिक संस्थाओं ने उदयपुर की घटना की निंदा तो की किन्तु, जब तक जिहाद के संबंध में ये अवधारणाएं फैलाई जाती रहेंगी तब तक ना तो विश्व में शांति रहेगी और ना ही सांप्रदायिक सद्भाव। सरकारें तो इनको कानून-व्यवस्था का मामला मान कर निपटेंगी हीं किन्तु, यह तो एक वैचारिक युद्ध है जिसे विश्व भर के उस सम्पूर्ण सभ्य समाज को लड़ना है जो कि मानवीय मूल्यों, मानवाधिकारों, मानवीय गरिमा तथा महिलाओं की प्रतिष्ठा में विश्वास रखता है। उन्हें अपनी आवाज उठानी होगी। इस आवाज को उठाने में जो खतरे हैं, उन्हें झेलना होगा, उसकी कीमत भी चुकानी पड़ेगी।
प्रदर्शन कारियों में विहिप महा नगर अध्यक्ष श्री आशु अग्रवाल, कार्याध्यक्ष श्री दिव्य चतुर्वेदी, बजरंगदल के महा नगर संयोजक श्री नीरज चौरसिया, सह-संयोजक श्री नितिन शर्मा व केवलानंद गौड़ सहित अनेक पदाधिकारी व हिन्दू जनमानस सामिल था।
UP News : जिहाद की मध्य युगीन अवधारणाओं पर लगे विराम: आलोक कुमार
आलोक कुमार ने मुस्लिम समाज का भी आह्वान करते हुए कहा कि वह वर्तमान समय के प्रवाह को समझकर अपनी विचारधार को दुरुस्त करे। उन्हें इस बात की भी सावधानी बरतनी पड़ेगी कि मदरसे तथा अन्य संस्थाएं आतंकवाद की नर्सरी के रूप में प्रयोग में ना आएं।