इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बॉयोलॉजी (सीएसआईआर) के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल बता रहे हैं कि भारत की पहली कोविड19 वैक्सीन बनाने मे तकनीक का क्या योगदान रहा और एक बड़ी आबादी को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए वैक्सीन ही क्यों जरूरी है? इसके साथ ही डॉ. अनुराग, कोरोना महामारी में बचाव की तैयारियों के महत्वपूर्ण पहलूओं पर भी जानकारी दे रहे हैं।
सवाल: कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने में तकनीक के योगदान को आप किस तरह देखते हैं?
तकनीक की सहायता से ही हमारे फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना से लड़ने के लिए आधुनिक किस्म के संसाधन जैसे प्रभावी जांच किट, सेल्फ प्रोटेक्शन किट, मॉलीक्यूलर सर्विलांस मैकेनिज्म, दवाएँ और अन्य डिजिटल उपकरण उपलब्ध हो सके। तकनीक की सहायता से ही हम वायरस के म्यूटेशन को ट्रैक कर पाए, कोरोना जांच के लिए भारतीय किट को विकसित कर पाए, पर्याप्त मात्रा में दवा और उपकरणों को बना सके। केवल जांच और इलाज में ही नहीं, तकनीक की मदद से ही लॉकडाउन के समय हमारे घरों में सामान्य दिनचर्या का सामान घर के दरवाज़े तक पहुंचा। बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के साथ ही तकनीक की वजह से ही हम कोरोना महामारी के समय अपने परिजनों और दोस्तों के साथ संपर्क में रह सके।
सवाल: अब जबकि भारत में लगातार कोरोना के मामलों में कमी आ रही है, क्या हमें वास्तव में वैक्सीन की जरूरत है?
दो प्रमुख कारण हैं जिसकी वजह से कोरोना के मामलों में कमी होने के बावजूद हमें वैक्सीन की जरूरत है। अभी भी ऐसे अधिकांश लोग हैं जिनमें वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित नहीं हुई है और इस वर्ग के संक्रमण की चपेट में आने की संभावना अधिक है। दूसरा बड़े शहरों में अभी जो कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है वह अस्थाई भी हो सकती है। मैं आपको उदाहरण से समझाता हूं दिल्ली में तेजी से कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है क्योंकि यहां की आधी से अधिक आबादी में कोविड19 वायरस के प्रति एंटीबॉडी देखी गई है अन्य अधिक जनसंख्या घनत्व वाले शहरों में भी यही स्थिति देखी गई है। लेकिन यह बदल सकती है, ब्राजील में कुछ समय पहले ही हर्ड इम्यूनिटी देखी गई थी, किंतु वहां 70 प्रतिशत सीरो पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद भी मनौस शहर में संक्रमण तीव्रता के साथ बढ़ा। मनौस में हुए इस आउट ब्रेक की संभवत दो वजह हो सकती हैं। पहली यह कि लोगों का इम्यूनिटी स्तर कम हो रहा हो, दूसरा यह भी संभव है कि कोविड के किसी नये स्ट्रेन ने इम्यूनिटी पर हमला किया हो। दोनों ही संभावनाओं पर शोध किया जा रहा है। यह भी देखा गया है कि वैक्सीन से सामान्य इम्यूनिटी की अपेक्षा बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यूनिटी) मिलती है। वैक्सीन से मिलने वाली इम्यूनिटी को अधिक दिन तक चलने वाली मजबूत इम्यूनिटी कहा जा सकता है।
सवाल: सीएसआईआर ने खुद अपने संस्थान में सीरो सर्वेक्षण कराया है, उसके बारे में कुछ बताएं?
पिछले साल सीएसआईआर की 37 लैबोरेटरीज़ और केंद्रों में हमने एक सीरो सर्वेक्षण कराया। सर्वेक्षण में सीएसआईआर के वैज्ञानिक, छात्र, सुरक्षा, सफाई कर्मचारी और हाउसकीपिंग के लोगों को शामिल किया गया। इस समूह में न केवल विभिन्न सामाजिक आर्थिक समुदाय के बल्कि, विभिन्न जनसंख्या घनत्व के लोग भी थे। सर्वेक्षण कोरोना के अति गंभीर समय अगस्त से सितंबर 2020 तक के बीच किया गया। रिपोर्ट में हमने कोरोना के सौ मिलियन मामले देखे, जबकि वास्तव में यह आंकड़ा तीस गुना अधिक था। हमने यह भी देखा कि पचास प्रतिशत ऐसे लोग जिनमें एंटीबॉडी देखी गई उनमें कोरोना संक्रमण के किसी भी तरह के लक्षण नहीं देखे गए थे।
सवाल: लोगों को इस बात की आशंका है कि कोरोना की वैक्सीन लेने के बाद उन्हें कई तरह के दुष्प्रभाव या साइड इफेक्ट्स होगें, क्या वास्तव में उन्हें घबराने की जरूरत है?
वैक्सीन संक्रमण के प्रति इम्यूनिटी विकसित करती है, और वैक्सीन लेने के बाद मामूली साइड-इफ़ेक्ट जैसे कि बुखार, दर्द, थकावट आदि की शिकायत हो सकती है जो कि सामान्य हैं। कभी कभी यह साइड इफेक्ट अधिक गंभीर भी हो सकते हैं लेकिन ऐसे मामले कम होते हैं। अभी भारत या विदेशों में जिन भी वैक्सीन के प्रयोग की अनुमति दी गई है उन सभी की अच्छी तरह से जांच की गई है और सभी मानव प्रयोग के लिए सुरक्षित पाई गई हैं।
सवाल: इसका मतलब यह है कि आप वैक्सीन को लेकर आश्वस्त हैं?
जी हां वैक्सीन को लेकर मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं और वैक्सीन लगवाना एक समझदारी का काम है। ऐसे सभी लोग जिन्हें संक्रमण जल्दी हो सकता है उन सभी को वैक्सीन जरूर लगवाना चाहिए। जब भी वैक्सीन लगवाने के लिए मेरे परिवार का नंबर आएगा तब मुझे अपने परिवार को वैक्सीन लगवाने में किसी भी तरह की कोई झिझक नहीं होगी और यह मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। मेरी बेटी ने अभी मेडिकल की पढ़ाई में प्रवेश लिया है वैक्सीन के लिए उसका नंबर आने पर वह वैक्सीन जरूर लगवाएगी।
सवाल: महामारी को नियंत्रित करने के लिए वैक्सीन के अतिरिक्त हमें और किस क्षेत्र में काम करने की जरूरत है?
हमें छोटी लेकिन बहुत जरूरी बातों में सावधानी बरतने की जरूरत है। वैक्सीन के अतिरिक्त कोरोना से बचाव के लिए कोविड अनुरूप व्यवहार जैसे मास्क पहन कर रखना, निर्धारित दूरी बनाएं रखना, नियमित हाथ धोना, भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाने से बचना, आदि का पालन कर हम कोरोना संक्रमण से बच सकते हैं। निश्चित रूप से महामारी अभी खत्म नहीं हुई है।
सवाल: वर्ष 2021 के लिए हमें खुद को किस तरह तैयार करना है? क्या वायरस का हमला दोबारा हो सकता है?
कोरोना महामारी से बचाव की तैयारी में वायरस पर निगरानी रखना या फिर निगरानी तंत्र विकसित करना काफी चुनौती पूर्ण है। केवल कोविड19 ही नहीं, अन्य वायरस या बैक्टीरियल संक्रमण के नियंत्रण के लिए भी यह आसान नहीं है। हमें वायरस के किसी भी नये म्यूटेंट के द्वारा होने वाले फैलाव को बढ़ने से रोकना होगा। यूके, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के उदाहरण से हम यह समझ सकते हैं कि वायरस कभी भी वापस आ सकता है । हमें वैक्सीन बनाने, स्वास्थ्य संसाधनों को मजबूत करने और नई रैपिड जांच किट बनाने पर निवेश करते रहना चाहिए, जिससे महामारी को कम समय में नियंत्रित किया जा सके।
प्रस्तुति: सुभाष चन्द्र