Vastu : फलदायी हो मंदिर, तो घर में स्थापित करें इसे वास्तु अनुरूप

घर में मंदिर को अलग से जगह नहीं दे पा रहे तो रसोई, स्टोर या सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाएं। इसका समाधान है, ैक्या जानेें इस लेख में।

नई दिल्ली। शास्त्रानुसार कहा गया है कि –

।। इशान्यां देवता गृहं ।।

अर्थात ईशान कोण में देवता का घर अर्थात पूजन स्थल होना चाहिए । यदि घर आकार में बहुत छोटा है और उसमें अलग से पूजा-घर बनाना संभव नहीं है तो भी पूजा-घर स्टोर में अथवा सीढ़ियों के नीचे बनाना वास्तुसम्मत नहीं है। पूजा-घर के लिए उपयुक्त दिशा भवन के पूर्वोत्तर में बताई गयी है। पूजा-घर के साथ ही यह दिशा छोटे बच्चों को रहने के लिए भी उचित मानी गयी है।

उचित है पूर्व दिशा

पूजा के लिए लॉबी की पूर्वी दीवार को भी चुना जा सकता है। ध्यान रहे कि पूजा करते समय अथवा मुख पूर्व दिशा की ओर रहे तो अधिक उचित रहता है।

उपेक्षित स्थान नहीं

पूजा-घर कभी भी उपेक्षित स्थान पर बनाना उचित नहीं है। यदि हम अपने भवन में उपरोक्त वास्तुसम्मत सूत्रों को अपनाकर जीवनयापन करें तो निश्चय ही हम और हमारा वास्तु, स्वास्थ्यवर्धक सिद्ध हो सकते हैं। यदि हम अपने वास्तु को सुनियोजित तरीके से वास्तुसम्मत बनाएं तो वास्तु भी हमें स्वस्थ और समृद्ध बनाने में प्रभावी सिद्ध होगा।