क्या होगा केजरीवाल का, जब नहीं हो रहे हैं ईडी के सामने पेश

आज भी ईडी के समन पर पेश नहीं हुए अरविंद केजरीवाल, हो रही है सियासी जुबानी जंग

नई दिल्ली। दिल्ली की राजनीति ईडी और अरविंद केजरीवाल पर केंद्रित हो चुकी है। यह तीसरा मौका है जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईडी के समन के बावजूद जांच के लिए पेश नहीं हुए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेता इस मसले पर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि बार बार ईडी के समन की इस प्रकार अवहेलना होती है, तो ईडी किसी को हिरासत में भी ले सकती है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा ED के समक्ष पेश न होने पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, “अरविंद केजरीवाल ने बार-बार कहा है कि ED अगर कानूनी तौर पर नोटिस भेजती है तो हम उसका सहयोग करने के लिए तैयार हैं।लेकिन अगर भाजपा बार-बार ED से नोटिस जारी करवाती है तो हम उसका जवाब देने के लिए मजबूर नहीं है। तीसरी बार हो गया आज तक ED ने अरविंद केजरीवाल के सवालों का जवाब नहीं दिया। ED की जगह भाजपा के नेता बार-बार जवाब देने आते हैं… भाजपा के नेताओं की बेचैनी बता रही है कि ये नोटिस भाजपा दिलवा रही है… इन अवैध नोटिसों का जवाब देने के लिए अरविंद केजरीवाल मजबूर नहीं हैं।”

दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि जिस तरह अरविंद केजरीवाल ई.डी. समन से बच रहे हैं वह साफ दर्शाता है कि उन्हें देश की प्रशासनिक एवं न्याय व्यवस्था पर विश्वास नहीं है और उसके बाद एक सवाल खड़ा होता है क्या अब उन्हे मुख्यमंत्री बने रहने का नैतिक आधार बचा है? केजरीवाल की तरह मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, नायर आदि भी ई.डी. नोटिस को गलत बताते थे, फिर पेश हुऐ और आज अनेक प्रयासों के बाद भी किसी न्यायलय से जमानत पाना तो दूर हर न्यायलय से फटकार पा रहे हैं।

दिल्ली प्रदेश महिला मोर्चा की महामंत्री प्रियल भारद्वाज का कहना है कि अपनी कई बार की कथनी और करनी से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह साबित कर दिया है कि उनकी भारतीय लोकतांत्रिक और प्रशासनिक व्यवस्था में भरोसा नहीं है। खुद को आंदोलनकारी भले ही कहते हैं, लेकिन उनकी कार्य-संस्कृति उन्हें अराजक की श्रेणी में ही रखती है। ई.डी. समन की जिस प्रकार से वो अवहेलना कर रहे हैं, उससे तो स्पष्ट लगता है कि दिल्ली के शराब घोटाले में उनकी संलिप्तता है। यदि कोई ईमानदार है, तो उसे जांच एजेंसी और किसी भी प्रकार की पूछताछ से भला क्यां और कैसा भय होगा ? हाल के दिनों में जिस प्रकार से अरविंद केजरीवाल ने देश की प्रशासनिक एवं न्याय व्यवस्था पर अविश्वास जताया है, उसके बाद एक सवाल खड़ा होता है क्या अब उन्हे मुख्यमंत्री बने रहने का नैतिक आधार बचा है? पूरी दिल्ली इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि अरविंद केजरीवाल की तरह ही तरह ही मनीष सिसोदिया, संजय सिंह आदि नेताओं ने भी ई.डी. नोटिस को गलत बताया है। आज सच किसी से छिपा नहीं है।