Uttar Pradesh News : हो गई घोषणा, फैजाबाद जंक्शन का नया नाम ‘अयोध्‍या कैंट’

आज कोई प्रदेश में दंगा नहीं कर पाएगा लेकिन पहले जब पर्व और त्योहार आते थे तो दंगा होता था, हर त्योहार होली, जन्‍माष्‍टमी के पहले दंगा होता और कर्फ्यू लग जाता था। कर्फ्यू के साये में कोई कैसे पर्व और त्योहार मना सकता है और उसके बाद ये लोग गोल टोपी पहनकर प्रदेश की जनता को अपमानित करते थे।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले स्थित फैजाबाद जंक्शन का नाम बदलकर ‘अयोध्‍या कैंट’ करने का फैसला किया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने शनिवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने फैजाबाद रेलवे जंक्शन का नाम ‘अयोध्‍या कैंट’ करने का निर्णय लिया है।’’

उल्लेखनीय है कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने वर्ष 2018 में फैजाबाद जिला और मंडल का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया था। इसके अलावा भाजपा सरकार ने इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज और मुगलसराय जंक्शन (रेलवे स्टेशन) का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया था।

एक अन्य कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ शनिवार को यहां भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा द्वारा आयोजित ‘सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन’ की श्रृंखला में विश्वकर्मा समाज के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘जो राम द्रोही होगा वह आपका हितैषी कभी नहीं हो सकता है, यह आपकी जिम्मेदारी है कि अपने समाज के लोगों को जाकर बताएं और सरकार के कारनामों को जन जन तक पहुंचाएं। हम वर्तमान के साथ भविष्‍य को भी सुरक्षित करने की योजना को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।’’

पूर्ववर्ती सरकारों खासतौर से समाजवादी पार्टी की कड़ी आलोचना करते हुए योगी ने कहा, ‘पहले की सरकारें अपने परिवार को ही प्रदेश मान लेती थीं, एक परिवार 2012 से 2017 तक लूट खसोट में लगा था और महाभारत के सारे रिश्ते उनके पास थे, कोई किसी को मार रहा था, कोई किसी का कब्जा कर रहा था। 2012 से 2017 तक की सरकार महाभारत का जीवंत कलयुगी अवतार थी।’’ उन्होंने कहा कि आप और हम सबके आराध्य भगवान विश्‍वकर्मा हैं और अगर भगवान विश्वकर्मा के मानस पुत्र नल और नील नहीं होते तो क्या सेतुबंध का निर्माण हो गया होता।

योगी ने कहा कि यह प्रश्न बार बार उठता है, एक तरफ भाजपा है जो भगवान विश्वकर्मा के मानस पुत्रों द्वारा स्थापित सेतुबंध को बचाने का कार्य करती है और दूसरी तरफ सपा, बसपा और कांग्रेस है जिसने 2005 में सेतुबंध को तोड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया।