नई दिल्ली। समाज, सियासत और सहूलियत को लेकर कैसे वितंडा खडा किया जाता है, इसे देखना और समझना हो तो आजकल पश्चिम बंगाल को देखा जा सकता है। विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक हर राजनेता केवल अपने लाभ के लिए तमाम संवदेना को ताक पर रख रहा है। ताजा मामला नुसरत जहां को लेकर है। उनकी निजी जिंदगी ने इतने मोड लिए कि उस पर सियासी गलियारों में तरह-तहर के बयान दिए जा रहे हैं। अव्वल तो यह कि उनकी सांसदी तक खत्म करने की मांग हो चुकी है।
ताजा घटनाक्रम में पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने नुसरत जहां के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि नुसरत जहां ने भारतीय संस्कृति को शर्मसार किया हैं। वो एक महिला सांसद हैं। उन्होंने सिंदूर लगाया, एक युवक को अपना पति बताया और मुख्यमंत्री को अपने यहां बहुभोज पर बुलाया और अब वो कह रही हैं कि वो युवक उनका पति नहीं है।
कई बुद्धिजीवी भी भाजपा नेता दिलीप घोष की हां में हां मिला रहा है। वहीं इस प्रकार की खबरें मीडिया में भी खूब सुर्खियां बटोर रही है। भाजपा नेता इस मुद्दे को लेकर तृणमूल कांग्रेस की राजनीति पर भी टिप्पणी कर रहे हैं। असल में, भाजपा को लगता है कि इस बहाने को लेकर यदि पार्टी तृणमूल कांग्रेस की संस्कृति पर हमला करती है, जो जनता के बीच वह अपनी बात को और अधिक जोरदार से तरीके से पहुंचा सकती है।
तभी तो भाजपा नेता दिलीप घोष ने तृणमूल कांग्रेस के सासंद सौगुप्ता बाबू को लपेट लिया और कहा कि यह सौगुप्ता बाबू (टीएमसी सांसद) की विचारधारा हो सकती है लेकिन यह देश और पश्चिम बंगाल की विचारधारा नहीं हो सकती है। पार्टी को उन्हें तुरंत सस्पेंड करना चाहिए या फिर नुसरत जहां को तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
असल में, यह सारा मामला तब उठा, जब सांसद नुसरत जहां ने अपने पति निखिल जैन से नाता तोड़ने की सार्वजनि घोषणा कर दी। नुसरत की ओर से कहा गया कि उनकी निखिल जैन से शादी नहीं हुई थी, बल्कि वह निखिल जैन से साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही थीं।
और तो और, नुसरत जहां ने तो यहां तक कह दिया कि उनकी शादी ही वैध नहीं थी। यानी भारतीय कानून के मुताबिक यह शादी नहीं हुई थी, इसलिए तलाक की भी कोई जरूरत नहीं है।
इतना कहने भर से पूरी सियासत गरमा गई। तभी तो भाजपा की सांसद संघमित्रा मौर्य ने लोकसभा अध्यक्ष ओम को पत्र लिखकर नुसरत जहां की लोकसभा सदस्यता तक रद्द करने की मांग कर डाली। उन्होंने कहा कि शादी के मसले पर उन्होंने अपने मतदाताओं को धोखे में रखा है। नुसरत जहां के इस मामले से संसद की गरिमा भी धूमिल हुई है।