नई दिल्ली। मंत्रिमंडल में विस्तार एक सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है, लेकिन जब उसके लिए महीनों तक समुद्र मंथन जैसा विमर्श किया जाता है और उन विभागों को आपस में मिला दिया जाता है, जिनका एक दूसरे से अधिक काम है, तो उम्मीद बढ़ जाती है। कोरोना महामारी के दौर में केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया गया है। कई युवाओं को पहले से अधिक और बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उनसे सबसे अधिक अपेक्षा प्रधानमंत्री को है। जिन 12 मंत्रियों को इस फेरबदल में सरकार से हटाकर अन्य जिम्मेदारी देने की बात कही जा रही है, उन विभागों से प्रधानमंत्री कार्यालय को बेहतर आउटपुट की अपेक्षा है।
असल में, जिस प्रकार से कंप्यूटर-लैपटॉप में पुराने सॉफ्टवेयर को अपडेट किया जाता है, यह विस्तार एक तरह से उसी प्रकार का है। प्रोसेसर तो पुराना ही है, लेकिन कई सारे सॉफ्टवेयर अपडेट किए गए और कुछ नए लिए गए। मंशा केवल ये है कि इससे त्वरित और बेहतर परिणाम निकलें।
इस कोरोना काल में स्वास्थ्य महकमा को लेकर हरेक की उम्मीद है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी मनसुख मंडाविया को दिया गया, तो उनको रसायन एवं उर्वरक का काम भी सौंपा गया। ताकि स्वास्थ्य मंत्रालय को दवा आदि की आपूर्ति में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं हो। पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवधन थे और रसायन एवं उर्वरक मंत्रीर सदानंद गौड़ा।
कोरोना काल में यदि स्वास्थ्य बड़ा मसला है, तो भारत के भविष्य को पटरी पर लाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े और त्वरित निर्णय लेने होंगे। इस कसौटी पर प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर में धर्मेन्द्र प्रधान खरे उतरे। उन्हें केंद्रीय मानव संसधान विकास यानी शिक्षा विभाग के साथ कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्होंने अपना कार्यभार संभाला। इससे पहले उन्होंने जिस मंत्रालय में अपनी काम का लोहा मनवाया, उसकी कहानी केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान से लगता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती धर्मेंद्र प्रधान की तरह काम करना और उनके द्वारा शुरू किए गए अच्छे कार्यों को जारी रखना है। इस मंत्रालय का कार्य प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप में प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करता है।
देखा जाए तो धर्मेन्द्र प्रधान चुपचाप काम करने में यकीन रखते हैं। ओडिशा से आते हैं और समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की कला जानते हैं। संगठन और सरकार के बीच अपनी बेहतर उपस्थिति बना चुके है। बीते मंत्रालय में जिस प्रकार से काम किया, उससे अधिक उम्मीद बढ़ गई। देश के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि पीढ़ी शिक्षित हो। किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। शिक्षा के साथ साथ उसमें उद्यमिता का कौशल भी हो। इसलिए इस बार दोनों मंत्रालय धर्मेन्द्र प्रधान को दिया गया है। हर अभिभावक की उम्मीद अब इनसे है कि जब देश भर के स्कूल और कॉलेज खलेंगे, तो ये किस प्रकार से तमाम चीजों को पहले से बेहतर कर पाएंगे।
इसी प्रकार हम रेलवे की बात करें, तो नए मंत्रिमंडल विस्तार में रेलवे के साथ आईटी की जिम्मेदारी पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव को दिया गया। अश्विनी वैष्णव ने पहले रेलवे का पदभार और उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला। असल में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेलवे को आधुनिकतम तकनीक से लैस करना चाहते हैं, इसलिए इस दोनों विभाग की जिम्मेदारी एक ही व्यक्ति को दिया गया है। मंत्रिमंडल विस्तार में संगठन के महारथी रहे भूपेंद्र यादव को केंद्रीय श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। हर हाथ को काम मिले। हर श्रमिक को उसका पारिश्रमिक मिले। किसी प्रकार की कोई रूकावट नहीं आए। जिस प्रकार से संगठन में उन्होंने पार्टी के हर कार्यकर्ता तक अपनी पहुंच बनाई, प्रधानमंत्री कार्यालय की मंशा है कि उसी प्रकार ये हर श्रमिक के अधिकारों की रक्षा करें।