नई दिल्ली। यूं तो किसी मुख्यमंत्री का देश के गृहमंत्री से मुलाकात करना कोई अचंभे की बात नहीं होती है। लेकिन, जब सियासी पारा चढा हो, ऐसे में गुलदस्ता के साथ मिलने पर बातें तो होंगी ही। यही हो रहा है। इस मुलाकात के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से यह बात भी उठी कि वह अपने पडोसी राज्य पश्चिम बंगाल के कई सीटों पर विधानसभा चुनाव लडेगी। आखिर इसका मकसद क्या होगा ?
असल में, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली आए थे। कहा जा रहा है कि उनके गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुलावा भेजा था। आए तो कुछ लोगों से मिले। उसमें जैसे ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले और अपने टिवटर हैंडल पर उसे शिष्टाचार भेंट बताया, उसके बाद से कुछ लोगों के मन में कई तरह की बातें होने लगी। क्या हेमंत सोरेन राज्य में अपनी राजनीतिक स्थिति को निरापद करने के लिए अमित शाह से मिले ? जिस प्रकार से राज्य के भाजपा नेताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, उसके मद्देनजर तो यह मुलाकात नहीं है ?
इस बात को उस समय और अधिक बल मिला, जब हेेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में कूदने की घोषणा कर दी। वैसे, कहा जा रहा है कि ओवैसी की काट के तौर पर टीएमसी ने तुरूप का पत्ता फेंका है। उसके पीछे अहम रणनीति भाजपा के चुनावी गणित को बिगाड़ने का है। लेकिन, जो लोग अमित शाह की रणनीतिक कौशल से वाकिफ हैं, उन्हें यह बात गले नहीं उतर रही है।
बता दें कि झामुमो ने पुरुलिया, बांकुरा, झारग्राम जिला समेत जंगलमहल की सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है। वैसे, झारखंड की पार्टी के प्रत्याशी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और उसका चुनावी क्षेत्र क्या होगा, अभी तस्वीर साफ नहीं हुई है। इसके लिए झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से ही अंतिम आदेश आएगा। माना जा रहा है कि झामुमो कम से कम 35-40 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।