Guest Column : सुशासन के बिना लोक कल्याण, बिन पतवार के जहाज के समान है

सुशासन वास्तविकता में, देश के नागरिकों को बिना किसी परेशानी के आवश्यक सेवाएं प्रदान करने की सरकार की क्षमता को दर्शाता है। सुशासन के इसी संकल्प के साथ जब से मैंने मध्यप्रदेश सरकार का नेतृत्व संभाला है, तब से हमने नागरिकों को त्वरित और प्रभावी सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

शिवराज सिंह चौहान,
मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश

मेरे राजनैतिक जीवन की यात्रा मध्यप्रदेश के नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाने की प्रतिबद्धता का एक प्रतिबिम्ब है। भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के शब्द मेरे इसी उद्देश्य की नींव को मजबूती प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा था कि “व्यक्ति को सशक्त बनाने का अर्थ है राष्ट्र को सशक्त बनाना। सशक्तिकरण को वास्तव में तीव्र सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक विकास के माध्यम से चरितार्थ किया जा सकता है।” यही विचार मध्यप्रदेश के लोगों की पारदर्शिता, जवाबदेही और स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ सेवा करने के मेरे संकल्प में मार्गदर्शक रहे हैं।
अपने इन्हीं विचारों के आधार पर अटल जी भारत में सुशासन के पथ-प्रदर्शक थे। उन्होंने हम सभी के लिए सुशासन को अक्षरशः आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया। इसी कारण माननीय प्रधानंमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक निर्णय में अटल जी के जीवन और उनके भारत पर प्रभाव का सम्मान करने के लिए, उनके जन्मदिन, 25 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय सुशासन दिवस’ के रूप में घोषित किया। इसके साथ ही मोदी जी ने अपने दोनों कार्यकालों में सुशासन के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई और यह भी सुनिश्चित किया कि यह सरकार का मूल आधार बने।
मेरा मानना है कि सुशासन वास्तविकता में, देश के नागरिकों को बिना किसी परेशानी के आवश्यक सेवाएं प्रदान करने की सरकार की क्षमता को दर्शाता है। सुशासन के इसी संकल्प के साथ जब से मैंने मध्यप्रदेश सरकार का नेतृत्व संभाला है, तब से हमने नागरिकों को त्वरित और प्रभावी सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
आवश्यक नागरिक सेवाओं को त्वरित,सहज और परेशानी मुक्त तरीके से प्रदान करने के अपने संकल्प को ध्यान में रखते हुए, हमने गांव, जनपद और जिला स्तर पर दीनदयाल समितियों की स्थापना की है। इसके अंतर्गत विकास और निगरानी प्रणाली में जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त संरचनाएं भी स्थापित की हैं। वर्ष 2010 में, हमने सार्वजनिक सेवाओं को प्रभावी ढंग से वितरित करने की गारंटी देने के उद्देश्य से देश में पहली बार राज्य-स्तर पर ‘लोक सेवा गारंटी अधिनियम’ को लागू किया। आज, हम 500 से अधिक सार्वजनिक सेवाओं को इस कानून के दायरे में ला चुके हैं, जिसके कारण नागरिकों को सहज तरीके से इन सेवाओं का लाभ प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं से संबंधित जनता की शिकायतों के समाधान के लिए हमने सीएम हेल्पलाइन 181 की शुरुआत की है। जनता के लिए अपनी मांगों और सुझावों को दर्ज करके, कल्याणकारी नीतियों के विकास में जनभागीदारी का यह एक आसान तरीका भी बन गया है। अब तक, हमने लगभग 2 करोड़ से अधिक नागरिकों की समस्याओं का सफलतापूर्वक समाधान किया है।
कानूनों में संशोधन लाने के साथ ही, हमने नियमों और प्रक्रियाओं को भी सरल बनाया है, जिससे कि आम नागरिकों के लिए आवश्यक सेवाओं की सरल और त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। नतीजन, ‘डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण’ ने रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के साथ-साथ कॉल सेंटर और मोबाइल जैसी सेवाओं के वितरण के नए तरीकों के उपयोग में वृद्धि की है। हमने भूमि रिकॉर्ड की डिजिटल उपलब्धता, ऑनलाइन डायवर्जन, और ऑनलाइन भूमि-बंधक प्रक्रिया को गति देना सुनिश्चित किया है। मध्यप्रदेश सरकार के इन्हीं नवाचारों के कारण, नागरिकों को अब रिकॉर्ड गति से सूचना और आवश्यक दस्तावेज़ प्राप्त होने लगे हैं।
हमने यह सुनिश्चित किया है कि सीएम जनसेवा पोर्टल से नागरिकों को उनके मोबाइल पर खसरा, खतौनी, नक्शे और स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र आदि की प्रतियां आसानी से पहुंचाई जा सकें। इस पोर्टल को सभी महत्वपूर्ण नागरिक सेवाओं को सिंगल पॉइंट के माध्यम से वितरित करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। अब तक, हमने इस सेवा के माध्यम से 66 हजार से अधिक लोगों को लाभ प्रदान किया है।


‘अंत्योदय’ के विचार को ध्यान में रखते हुए हमने लोक सेवा केंद्रों की उपस्थिति को तहसील से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक बढ़ा दिया है। आने वाले वर्ष में हम 5000 से अधिक आबादी वाली सभी ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक सेवाओं के लिए कियोस्क स्थापित करके घर-घर सेवाएं प्रदान करेंगे।
यहां तक कि कोविड लॉकडाउन के दौरान भी हमने ज़िला और राज्य स्तर पर, विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों के लिए, 24 घंटे की कोरोना हेल्पलाइन शुरू करके लहर को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और अपने लोगों को राहत प्रदान करने का काम किया।
मेरा मानना है कि सरकार का कर्तव्य जनकल्याणकारी योजनाएं बनान और उनका लाभ जनता तक पहुंचाना है। यदि कोई सरकार ऐसा करने में अक्षम है तो वह एक बिना पतवार का जहाज है। हमारी सरकार ने इस वादे को सफलतापूर्वक पूरा किया है और सुशासन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। हमने अपने काम के प्रभाव को मापने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इसलिए, हर महीने के पहले सोमवार को, हम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये, सीएम डैशबोर्ड के माध्यम से सरकार के सभी विभागों की रैंकिंग करके अपनी गतिविधियों की निगरानी करते हैं। इस प्रक्रिया से अच्छा प्रदर्शन करने वाले विभागों को पुरस्कृत भी किया जाता है।
इस राष्ट्रीय सुशासन दिवस पर, मैं सभी नागरिकों को एक आत्मानिर्भर मध्यप्रदेश की रचना में उनकी भागीदारी के लिए बधाई देना चाहता हूं। “आत्मनिर्भर एमपी,” मध्यप्रदेश के लिए, पीएम मोदी द्वारा दिए गए ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण की रणनीति पर आधारित एक रोडमैप है। यह सुशासन के आदर्शों के अंतर्गत, सभी नागरिकों को आवश्यक जन सेवाओं का लाभ सुनिश्चित कराता है। अतः मैं उस ‘आत्मानिर्भर मध्यप्रदेश’ की निर्माण यात्रा में आप सभी को आमंत्रित करता हूँ, जहां व्यापक रूप से सभी सार्वजनिक सेवाओं का सरल और प्रभावी क्रियान्वयन किया जा सकेगा।