ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आईटीयू-डब्ल्यूटीएसए 2024 का दौरा किया

नई दिल्ली। केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कल भारत मंडपम में आईटीयू-डब्ल्यूटीएसए 2024 में भाग लेने वाले हजारों अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ भारत की समृद्ध विरासत की झलक साझा करने के लिए स्थापित किए गए सांस्कृतिक गलियारे का दौरा किया। गलियारे में देश के विभिन्न भागों से उत्कृष्ट हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शित किए गए हैं जो वस्त्र मंत्रालय और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा लगाए गए 14 स्टॉलों पर प्रदर्शन और खरीद के लिए उपलब्ध हैं।

यह कॉरिडोर हथकरघा क्षेत्र में, विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) द्वारा हासिल तकनीकी प्रगति को प्रतिबिंबित करता है। कार्यक्रम में आए इस दौरान प्रतिनिधि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के माध्यम से भारत के तकनीकी नेतृत्व का अनुभव कर सकते हैं, जो यूपीआई सेवाओं के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं के लिए कैशलेस लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है।

इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी अपनाए जाने का एक और उल्लेखनीय आकर्षण एनईएचएचडीसी (पूर्वोत्तर हस्तशिल्प और हथकरघा विकास निगम लिमिटेड) के एक केस स्टडी का प्रदर्शन है। यह प्रदर्शनी एरी कोकून “फाइबर से फैशन” मूल्य श्रृंखला की ट्रेसेबिलिटी के लिए ब्लॉकचेन के अनुप्रयोग पर है। एनईएचएचडीसी हथकरघा क्षेत्र के लिए डिजिटल उत्पाद पासपोर्ट (डीपीपी) को डिजाइन और विकसित करने के लिए एलडब्ल्यू3 के साथ काम कर रहा है जो टिकाऊ फाइबर के रूप में एरी सिल्क कोकून का उपयोग करके हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों के लिए डिजिटल पासपोर्ट बनाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक और क्लोन न कर सकने योग्य अद्वितीय क्यूआर कोड का उपयोग करता है।

यह पासपोर्ट पारदर्शिता, पता लगाने की क्षमता और प्रामाणिकता प्रदान करता है, निष्पक्ष व्यापार व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करता है और कारीगरों और बुनकरों की बौद्धिक संपदा की रक्षा करता है। उत्पाद की जानकारी और कारीगर व बुनकर के साथ उपभोक्ता की बातचीत को रिकॉर्ड करके, एलडब्ल्यू3 उपभोक्ताओं को विकल्पों के बारे में जानकारी देने के लिए सशक्त बनाता है और हस्तशिल्पों के लिए अधिक नैतिक और टिकाऊ बाजार का समर्थन करता है। यह मंच कारीगरों को उपभोक्तों के सकारात्मक प्रतिक्रिया के माध्यम से सामाजिक मान्यता प्राप्त करने की भी अनुमति देता है।

इसके अतिरिक्त, इस कॉरिडोर में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत एनईएचएचडीसी को समर्पित तीन स्टॉल हैं, जो पूर्वोत्तर राज्यों के हथकरघा और हस्तशिल्प को प्रदर्शित करते हैं। प्रमुख आकर्षण के रूप में पूर्वोत्तर क्षेत्र के हथकरघा स्टॉल पर लगाए गए मणिपुर के शफी लांफी शामिल है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के हस्तशिल्प स्टॉल पर मणिपुर की कलाकार श्रीमती केशम बबीता देवी द्वारा बेंत के स्लिंग बैग और सिक्कों के लिए पर्स जैसी वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। इसके साथ ही, पूर्वोत्तर क्षेत्र के हथकरघा में प्रौद्योगिकी अपनाने के स्टॉल पर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता श्रीमती इंदिरा चिरोम द्वारा मणिपुरी घरेलू वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं और पीढ़ियों से चली आ रही पारंपरिक मणिपुरी बुनाई तकनीकों की जानकारी दी गई है। एनाफीस और मोइरंगफीस सहित लोइन लूम, थ्रो शटल और फ्लाई शटल लूम पर तैयार किए गए वस्त्र भी प्रदर्शित किए गए हैं।

कुल मिलाकर सांस्कृतिक गलियारे में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और कुशल कारीगर शामिल हैं जो विभिन्न राज्यों के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों की विविध श्रृंखला प्रस्तुत करते हैं। इनमें गुजरात से कच्छ शॉल और तंगालिया, मणिपुरी घरेलू वस्त्र, हिमाचल प्रदेश से कुल्लू शॉल और तेलंगाना से पोचमपल्ली इकत शामिल हैं।

यह यात्रा नई दिल्ली में चल रहे डब्ल्यूटीएसए 24 और आईएमसी24 के साइड इवेंट का हिस्सा थी। यह कार्यक्रम भारत की डिजिटल यात्रा में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है जो उन्नत संचार प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नेता बनने के लिए देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।