काशी तमिल संगम: सांस्कृतिक एकता के संगम पर केंद्रीय मंत्री जे. पी. नड्डा की ऐतिहासिक उपस्थिति

 

वाराणसी। काशी तमिल संगम के तृतीय संस्करण के सातवें दिन वाराणसी के प्रतिष्ठित नमो घाट स्थित मुक्त आकाश मंच प्रांगण में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और रसायन एवं उर्वरक मंत्री, माननीय जे. पी. नड्डा ने गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष के. अनामलाई, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रविंद्र जायसवाल, मंत्री दयाशंकर मिश्र दयाल, वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी शिरकत की।
इस भव्य आयोजन में तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अनामलाई ने काशी और तमिलनाडु के बीच गहरी आत्मीयता को रेखांकित करते हुए कहा कि काशीवासियों ने तमिल समुदाय को अपने परिवार से भी बढ़कर प्रेम दिया है, जिसके लिए तमिल समाज सदैव कृतज्ञ रहेगा। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय की भी सराहना की, जिन्होंने इस आयोजन को भव्य बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की संकल्पना एवं उनके सुदृढ़ नेतृत्व की भी प्रशंसा की।
माननीय केंद्रीय मंत्री जे. पी. नड्डा ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन संपूर्ण भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने का है, और इसी उद्देश्य से काशी तमिल संगम, काशी तेलुगु संगम जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की सभी भाषाओं को उचित सम्मान देने एवं उन्हें वैश्विक मंच पर स्थान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष प्रयास किए हैं। उन्होंने प्रसिद्ध तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने अपनी शिक्षा काशी में ग्रहण की और तमिल भाषा के संवर्धन में अहम भूमिका निभाई।
माननीय मंत्री ने महर्षि अगस्त्य, जिन्हें तमिल व्याकरण का जनक माना जाता है, की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस वर्ष का काशी तमिल संगम उन्हीं को समर्पित है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के विविधता में एकता के दृष्टिकोण को अद्वितीय बताते हुए कहा कि यह संगम भारत की सांस्कृतिक जड़ों को और सुदृढ़ कर रहा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चोल साम्राज्य में न्याय का प्रतीक “सिंगल” को प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय संसद में स्थापित कर ऐतिहासिक सम्मान प्रदान किया है।
कार्यक्रम के दौरान माननीय मंत्री ने तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों के साथ स्मरणीय भेंट की एवं नमो घाट पर लगे विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया। उन्होंने नमो ऐप के स्टॉल पर जाकर ऐप इंस्टॉल करने की प्रक्रिया को समझा और विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद लिया। इस अवसर पर भारतीय भाषा केंद्र द्वारा काशी और तमिलनाडु की संस्कृति पर आधारित पुस्तक भी उन्हें भेंट की गई।
सांस्कृतिक संध्या में मधुमिता भट्टाचार्य द्वारा ‘आज बिरज में होली रे रसिया’ का मधुर गायन हुआ, जिसके पश्चात तमिलनाडु के कलाकारों द्वारा कुचिपुड़ी नृत्य की मोहक प्रस्तुति दी गई। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय की रुक्मिणी जायसवाल एवं उनकी टीम ने शिव स्तुति एवं महिला सशक्तिकरण पर आधारित कथक नृत्य प्रस्तुत किया, जो प्रधानमंत्री मोदी की प्राचीन विरासत और आधुनिक विकास के दृष्टिकोण को दर्शाता है। अंत में श्री मणिकंदम जी की टीम ने तमिल लोकनृत्य “तपतम” का प्रदर्शन किया।
माननीय मंत्री जे. पी. नड्डा ने इस आयोजन को शिक्षा मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री मोदी की सांस्कृतिक दृष्टि का प्रभावी उदाहरण बताते हुए कहा कि यह पहल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह संगम भारत की समृद्ध विविधता और एकता का प्रतिबिंब है, जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार कर रहा है।