कोऑपरेटिव खेती में क्रांति के लिए डब्ल्यूकॉपईएफ ने आईआईटी हैदराबाद और आई-सीड से हाथ मिलाया

 

नई दिल्ली। विश्व सहयोग आर्थिक मंच (WCOOPEF) ने ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (IRMA) के सामाजिक उद्यमों के विकास हेतु स्थापित इनक्यूबेटर आई-सीड और आईआईटी हैदराबाद के प्रौद्योगिकी नवाचार हब (TiHAN) के साथ मिलकर आईओटी आधारित डिजिटल फसल सर्वेक्षण और भू-स्थानिक मेधा (जियोस्पासियल इंटेलिजेंस) से सहकारी-नेतृत्व वाली कृषि में क्रांति लाने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है।

यह पहल अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष में सहकारी-नेतृत्व वाली आर्थिक वृद्धि, स्थिरता और ग्रामीण सशक्तिकरण को सुदृढ़ करने का कार्य करेगी। ‘सहकार से समृद्धि’ की सोच के साथ इस प्रयास का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में लचीलापन बढ़ाने के लिए किसान सहकारी समितियों, डेयरी संघों, मत्स्य पालन सामूहिक और ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों (SHG) को अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों से लैस करना है। यह कदम सहकारी-नेतृत्व वाली खेती और ग्रामीण उद्यमों में डेटा-संचालित निर्णय लेने को बढ़ावा देने के लिए एआई-संचालित भू-स्थानिक मेधा, रियल टाइम आईओटी डेटा संग्रह और डिजिटल मैपिंग तकनीकों को एकीकृत करने का कार्य करेगा।

डब्ल्यूकॉपईएफ के अध्यक्ष दिलीप शंघाणी ने कहा, “सहकारी मॉडल लंबे समय से भारत की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। भू-स्थानिक नवाचार और आईओटी-सक्षम डिजिटल फसल सर्वेक्षणों को मिलाकर हम सहकारी समितियों को डेटा-संचालित, कुशल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ और विकसित भारत की सोच के अनुरूप है, जिससे विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को प्रसीजन कृषि, वास्तविक समय में बाजार सुलभता और वित्तीय समावेशन का लाभ मिलेगा।”

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रधानमंत्री की हाई-पॉवर्ड कमेटी के सदस्य, डब्ल्यूकॉपईएफ के संस्थापक अध्यक्ष और किसान-केंद्रित मूल्य श्रृंखलाओं के अग्रणी अधिवक्ता बिनोद आनंद ने सहकारी समितियों के लिए डिजिटल परिवर्तन को अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “छोटे किसानों और ग्रामीण समुदायों के उत्थान के लिए सहकारी समितियों को टेक्नोलॉजी सक्षम उद्यमों के रूप में विकसित होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि यह पहल एक टेक्नोलॉजी-सक्षम सहकारी आर्थिक क्षेत्र की स्थापना करेगी, जो आईओटी-सक्षम डिजिटल फसल सर्वेक्षण, एआई-संचालित भू-स्थानिक मेधा और वास्तविक समय के बाजार संबंधों का लाभ उठाकर एक अधिक लचीला और आत्मनिर्भर सहकारी पारिस्थितिकी तंत्र बनाएगी।